घर में चाहे जितनी भी संपत्ति हो अर्थात लक्ष्मी हो अपने को लक्ष्मीपति नहीं समझना चाहिए – उदय झा
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत केशावे तेरहपाय महावीर मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यास पीठ से पंडित श्रीराम उदय झा महाराश की कथा कहते हुए कहा कि भगवान गोपियों की भावना को देखते हुए उसके साथ नृत्य कर रहे थे, लेकिन गोपियों को सौंदर्याभिमान जाग गया । और जहां आता है अभिमान वहां से खिसक जाते हैं । रास बिहारी गोपियों के बीच नृत्य करते-करते गायब हो गए । कंस वध, गोपी – उद्धव संवाद की कथा भी विस्तार से किया ।
रुक्मिणी विवाह की चर्चा करते हुए श्री झा ने कहा कि रुक्मिणी महारानी साक्षात महालक्ष्मी हैं, और महालक्ष्मी का पति शिशुपाल बनना चाहता था जिसके कारण उसे रोना पड़ा और गर्दन भी कटी । कथा का तात्पर्य है कि घर में चाहे जितनी भी संपत्ति हो अर्थात लक्ष्मी हो अपने को लक्ष्मीपति नहीं समझना चाहिए, या तो लक्ष्मी को मां के रूप में देखें या फिर पुत्री के रूप में । जो अपने को लक्ष्मीपति मानने लगते हैं, उन्हें शिशुपाल की तरह रोना पड़ता है । मुख्य यजमान प्रिंस कुमार एवं उनकी पत्नी कल्याणी कुमारी विराजमान थी।
मुकेश झा तबले पर बम बम जी एवं सहयोगी के रूप में अमित कुमार इत्यादि के साथ भजन से सहयोग कर रहे थे । रुक्मिणी विवाह की झांकी भी दिखाई गई । मौके पर चैतन्य गेस्ट हाउस के मालिक नीरज सिंह, सुरेश सिंह, रामविलास सिंह, संत श्री बृजमोहन दास, उप मुखिया विमल कुमार सिंह, सरपंच मुकेश सिंह, मुखिया गोपाल सिंह , शंभू सिंह, हीरा बहन, अमन कुमार, नुनू इत्यादि मौजूद थे ।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट