धर्म जानकार के या अनजान से हो जाता है तो उसका प्राप्त फलाफल सबको अवश्य मिलता है।
डीएनबी भारत डेस्क
25 जून 2025 पुनः 12 वर्षों के बाद यह दुर्लभ संजोग बन रहा है । इसके बारे में विशेष चर्चा करते हुए पूज्य गुरुदेव भगवान ने यह बतलाया की कुंभ ब्रह्मांड का प्रतीक है कुंभ योग में सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति एक राशि पर मिलते हैं तो कुंभ योग बनता है। जो कायिक,वाचिक, मानसिक, संसर्गिक, ज्ञात, अज्ञात सब प्रकार के पाप ताप को दूर कर एह लौकिक सुख और पारलौकिक गति देने वाला शास्त्र वर्णित है ।यह दुर्लभ योग 12 वर्षों में केवल ढाई दिनों का होता है जिस वर्ष के जिस माह में ऐसा योग होता है ।
वह महीना अपने आप में विशिष्ट हो जाता है इसके अन्वेषक ऋषि वृंदों में प्रधान ब्रह्मा जी अपौरुषेय सत्य सनातन धर्म का आधार वेद वेदांग के द्वारा धर्म प्रधान बुद्धिजीवियों को प्रदान किया गया। जिनके द्वारा शास्त्रोचित विधि से देव वृद्ध इससे लाभान्वित होते हैं । ऐसे अनजाने से भी यह मुहूर्त सबके लिए लाभकारी है जैसे आग जान के या अनजान के छूने से उसका फलाफल मिलता है इस प्रकार से धर्म जानकार के या अनजान से हो जाता है तो उसका प्राप्त फलाफल सबको अवश्य मिलता है। इसीलिए आज मिथुन राशि पर सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति के योग से अनुपम महाकुंभ का योग बन रहा है ।

शास्त्र अनुसार जगन्नाथ धाम में स्नान दान जप पाठ हवन व परमार्थ का सारा कार्य अनैतिक गुण अधिक फलदाई कहा गया है । परंतु द्वादश कुंभ की सजगता के बाद समुचित व्यवस्था के अभाव में वहां जाने में जो कोई भी असमर्थ होने के कारण आदि कुंभस्थली सिमरिया धाम में ही विधिवत कुंभोत्सव के साथ-साथ सर्वमंगला परिवार के सौजन्य से साथ यह अमृतोत्सव मनाया जा रहा है। जिसमें मंगलवार को अमावस्या के पुनीत अवसर पर यह कुभोत्सव का शुभारंभ हुआ जो आषाढ़ नवरात्र पर्यन्त इसी प्रकार से रथोत्सव के द्वारा मनाया जाएगा।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट