कार्तिक मास में कल्पवास करने से पापियों को नर्क में नहीं जाना पड़ता है,इसे ही कल्पवास कहा जाता है –  विष्णुदेवाचार्य जी महाराज

 

कार्तिक मास में संसार के सभी मानवों को गंगा तट पर कल्पवास करना चाहिए-विष्णुदेवाचार्य जी महाराज

डीएनबी भारत डेस्क

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बेगूसराय/सिमरिया-कार्तिक मास में कल्पवास करने तथा कल्पवास के महत्वों पर प्रकाश डालते हुए सिमरिया धाम में खखर बाबा खालसा में प्रवचन देते हुए मिथिला पीठाधीश्वर सिमरिया धाम , बिहार,कथावाचक जगतगुरु विष्णुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में वर्णित पांच पाप क्रमशः स्त्री हत्या, गौ हत्या, विप्र हत्या , बाल हत्या, झूठ बोलने जैसी पापों के एक कल्प का फ़ल खौलते हुए तेल के कराह में पापीयों को डाल दिया जाता है।

लेकिन जो कार्तिक मास में गंगा नदी तट पर कल्पवास करता है उसे नर्क में नहीं जाना पड़ता है। इसी का नाम कल्पवास है। इसलिए संसार में सभी मानवों को गंगा तट पर एक मास कल्पवास करना चाहिए। गंगा तट पर कल्पवास करने के दौरान गंगा स्नान, गंगा जल सेवन, सात्विक आहार, भजन, कीर्तन संध्या, आरती, संकृतन , मंत्र जप, तप, गंगा तट सेवन करना चाहिए।

उन्होंने कहा हमारी संस्कृति में धर्म, सत्कर्म, संस्कार , सौराष्ट्र, प्रकृति, पर्यावरण और जल संरक्षण की सभी को बराबर जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां गंगा तट पर गंगा स्नान करते हुए इन सभी का पूजन व संरक्षण किया जाता है। आगे उन्होंने कहा कि खालसा में भंडारा, नवाह ,हवन,  अखण्ड संकृतण, कथा प्रवचन, कथा श्रवण किया जाता है। मौके पर महन्त सुदामा दास, रामअधिन दास, पुजारी अजय दास एवं भक्त मंडली उपस्थित रहे।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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