भगवान सृष्टि के कण-कण में समाया है पर उन्हे अनुभव करने के लिए सूझ वाली आंख अर्थात दिव्य दृष्टि होनी चाहिए:-साध्वी अमृता भारती
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के तेघड़ा ,पुरानी बाजार, परिणय गार्डन परिसर में दिव्य ज्योति जागृती संस्थान द्वारा आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने कहा की पूर्ण गुरु नर रूप में श्री हरि होते हैं। ऐसे गुरु का आह्वान होता है उत्तिष्ठत,जाग्रत, प्राप्य वरान्निबोधत। अर्थात उठो जागो और श्रेष्ठ महापुरुषों के सान्निध्य में जाकर उसे परब्रह्म को जान लो।
साध्वी ने कहा जर्रे-जर्रे में है झांकी भगवान की, किसी सूझ वाली आंख में पहचान की। भगवान सृष्टि के कण-कण में समाया है पर उसका अनुभव करने के लिए सूझ वाली आंख अर्थात दिव्य दृष्टि होनी चाहिए। अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के समक्ष खड़े थे फिर भी उसे तत्त्वदर्शी गुरु की शरण में जाने की प्रेरणा दे रहे थे, हम मानव समाज को भगवान का संदेश है कि यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो तत्त्वदर्शी गुरु के सानिध्य में जाना होगा।
मीराबाई, नामदेव, धन्ना जाट आदि भक्तों के सामने भगवान स्वयं प्रकट हो जाया करते थे परंतु इतिहास गवाह है कि वह भी गुरु के शरण में गए ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने हेतु। इसलिए भक्तों ने कहा कि लेकर समर्थ से ज्ञान शिवाजी ने धर्म से युद्ध किया , रक्त रंजित मन अशोक का बुद्ध मिले तो शुद्ध हुआ।
शिष्य स्वामी सुकरमानंद जी ने कहा की दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी के पावन सानिध्य एवं अलौकिक मार्गदर्शन ने सहस्त्रों निष्काम आत्त्मज्ञानियों का निर्माण किया जो विश्व के कोने-कोने में पहुंचकर ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करने में निरंतर संलग्न है।
संस्थान का एक ही नारा है मानव में क्रांति और विश्व में शांति आएगी ब्रह्म ज्ञान से और ब्रह्म ज्ञान मिलेगा दिव्य ज्योति जागृती संस्थान से। कार्यक्रम का समापन विदाई समारोह एवं प्रभु के पावन पवित्र आरती के साथ किया गया। कार्यक्रम में गायक वादक के साथ-साथ समस्त तेघरा वासियो की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही।
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