मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था, पावापुरी बीम्स अस्पताल खुद हुआ बीमार, अस्पताल भगवान भरोसे

DNB Bharat Desk

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बिहार सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लगातार डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। वे अधिकारियों को ड्यूटी के प्रति जिम्मेदार और सजग रहने के निर्देश भी दे रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर, नालंदा जिले स्थित भगवान महावीर आयुर्विज्ञान एवं विज्ञान संस्थान (बीम्स), पावापुरी की हालत चिंताजनक बनी हुई है।

मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था, पावापुरी बीम्स अस्पताल खुद हुआ बीमार, अस्पताल भगवान भरोसे 2जब स्थानीय मीडिया ने जब इस सरकारी अस्पताल की जमीनी हकीकत की पड़ताल की, तो तस्वीरें चौंकाने वाली सामने आईं। अस्पताल की व्यवस्था मानो भगवान भरोसे चल रही है। हल्की बारिश के बाद ही अस्पताल के बरामदों और गलियारों में पानी भर जाता है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दीवारों से टपकता बरसात का पानी अस्पताल की जर्जर स्थिति को साफ दर्शाता है।

मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था, पावापुरी बीम्स अस्पताल खुद हुआ बीमार, अस्पताल भगवान भरोसे 3अस्पताल में मरीजों को उचित देखभाल नहीं मिल पा रही है। कई मरीज खुले बरामदे में पड़े हुए हैं, तो उनके परिजन फर्श पर सोने को मजबूर हैं। वीडियो में यह भी देखा गया कि परिजन खुद हाथ से पंखा झेलकर मरीजों को राहत देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में गहरा अंतर साफ नजर आता है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में ही स्वास्थ्य व्यवस्था की यह हालत राज्य सरकार की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है।

मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था, पावापुरी बीम्स अस्पताल खुद हुआ बीमार, अस्पताल भगवान भरोसे 4सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के प्रयास कर रही हो, लेकिन ज़मीनी स्तर पर संबंधित विभागों के कुछ अधिकारी और कर्मचारी ही इन कोशिशों को विफल कर रहे हैं। हालांकि, मंत्री डॉ. सुनील ने हाल ही में सरकारी डॉक्टरों को ड्यूटी के प्रति लापरवाही न बरतने की सख्त चेतावनी दी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह चेतावनी सिर्फ बयान तक सीमित रह जाएगी या वास्तव में अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा।

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