डीएनबी भारत डेस्क
समस्तीपुर: गांधी मैदान में प्रशांत किशोर छात्रों के समर्थन में धरने पर बैठे थे। इससे पहले बीपीएससी के छात्रों का आंदोलन गर्दनीबाग में शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था। प्रशासन ने गांधी मैदान को धरना प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर रखा है। बावजूद इसके, प्रशांत किशोर वहां प्रदर्शन करने पहुंचे, जिससे विधि व्यवस्था पर सवाल उठे। समस्तीपुर के विधायक और बिहार विधानसभा के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “हाथ उठाना और बद्तमीजी करना पूरी तरह से गलत है। प्रशासन के पास यह अधिकार है कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखे, लेकिन बल प्रयोग मर्यादा में होना चाहिए।
विधायक ने प्रशांत किशोर पर छात्रों के आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, “यह आंदोलन छात्रों का था और इसे छात्रों तक सीमित रखना चाहिए था। प्रशांत किशोर जैसे लोग अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए छात्रों के संघर्ष को डाइवर्ट कर रहे हैं। इससे सरकार पर पड़ने वाला दबाव कम हो गया।उन्होंने आगे कहा कि छात्रों के आंदोलन को हम विपक्ष की राजनीति से अलग रखना चाहते थे। हमारी पार्टी ने छात्रों को हर संभव समर्थन देने का आश्वासन दिया है। लेकिन किसी राजनीतिक दल के सीधे हस्तक्षेप से आंदोलन का मूल उद्देश्य भटक सकता है। प्रशांत किशोर को गांधी मैदान में धरना देने से रोकने के लिए प्रशासन ने बल प्रयोग किया।
हालांकि, विधायक शाहीन ने प्रशासन के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि “प्रदर्शन के लिए प्रशासन ने गर्दनीबाग जैसी जगह निर्धारित कर रखी है। गांधी मैदान जैसे प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन करना कानून का उल्लंघन है, जिससे हजारों छात्रों की भीड़ से विधि व्यवस्था बिगड़ सकती थी। विधायक ने प्रशांत किशोर की रणनीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा, “पहले प्रशांत किशोर आंदोलन का विरोध करते थे। लेकिन अब राजनीतिक माइलेज लेने के लिए आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। यह उनकी कथनी और करनी का विरोधाभास है। छात्रों के इस बड़े आंदोलन को कमजोर करने के लिए वे जिम्मेदार हैं।उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे नेता तेजस्वी यादव ने छात्रों से मुलाकात कर हर प्रकार के समर्थन का भरोसा दिया है। जरूरत पड़ने पर आर्थिक और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन यह आंदोलन छात्रों का है और इसे उनकी ही लड़ाई के रूप में रहने देना चाहिए।
यह घटना बिहार में राजनीति और छात्रों के आंदोलन के बीच टकराव को दर्शाती है। जहां एक ओर प्रशांत किशोर पर राजनीतिक लाभ के लिए आंदोलन को भटकाने का आरोप लग रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की कार्रवाई ने भी सवाल खड़े किए हैं। इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है, जिसका प्रभाव आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट