डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/सिमरिया-संसार एक कर्म क्षेत्र है यहां पर जो जैसा करेगा उसको वैसे पाना ही पड़ेगा ।अपने किए हुए कर्म और कुकर्म का फल सभी को एक न एक दिन भुगतना ही पड़ता है कहते हैं जितने प्रकार के दान,तप, यज्ञ कहे गए हैं, इस कार्तिक मास में कल्पवास और गंगा स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है उससे बड़ा फल किसी भी कर्म और धर्म करने से नहीं होता है

जो कोई भी प्राणी इस पुनीत कार्तिक महीना में गंगा स्नान करते हैं और नित्य तुलसी में जल देते हैं दीपदान करते हैं वो प्राणी मनुष्य जीवन में रहकर भी सदा सदा के लिए मुक्त हो जाते हैं जो इस पुनीत महीना में कम से कम तीन रात भी यहां कल्पवास कर लेते हैं उनके सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं और जो कोई भी इस पुनीत महीना में एकादशी व्रत में तपते हैं जो यह कठिन तपस्या करते हैं उनके 11वें इंद्रियां भी जागृत हो जाती है और यह व्रत करने से चारों पदार्थ की प्राप्ति होती है यही मिथिला की संस्कृति है भागवत में कहा गया है
जो प्राणी इस पुनीत महीना में कल्पवास करते हुए गंगा स्नान करते हुए भागवत कथा का श्रवण करते हैं उनके जन्म-जन्मांतर के पुण्य फलीभूत होते हैं संसार में चार युग धर्म होता है सतयुग, द्वापर, त्रेता, और कलयुग कलयुग केवल एक चरण का होता है इस युग में चार आना ही मनुष्य पुण्य कर पता है इसलिए हम लोग बड़े भागी हैं जो इस कार्तिक के पुनीत महीना में सिमरिया धाम कार्तिक महात्म और भागवत कथा का श्रवण करने के लिए आए हुए हैं।
सिद्धाश्रम के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी, मीडिया प्रभारी नीलमणि,रमण कुमार,अमरेंद्र कुमार सिंह, श्याम झा, राम झा,लक्ष्मण झा,अरविंद चौधरी, सदानंद झा, आचार्य नारायण झा, पंडित दिनेश झा रमेश झा, राजेश झा रजनीश झा,हंस झा, बच्ची देवी, अरुणा देवी एवं दीप्ति कुमारी सहित अन्य उपस्थित रहे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट