माया में लीन लोग ईश्वर को नहीं पहचान पाते हैं : कथा वाचिका कंचन दीदी

DNB Bharat Desk

ज्ञान जिसके आचरण में होता है,वह राजऋषि कहा जाता है।सत्य ज्ञान देने के लिए भगवान को अवतरित होना पड़ता है।आज की वर्तमान समय धर्मग्लानी की चल रही है।ऐसे समय में भगवान गुप्त रूप से अपना काम कर रहे हैं।माया में लीन लोग ईश्वर को नहीं पहचान पाते हैं।

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उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेगूसराय के द्वारा पांच दिवसीय श्रीमद भगवद्गीता ज्ञान रहस्य के तहत वीरपुर राजेन्द्र विवाह भवन में  आयोजित प्रवचन के दौरान कथा वाचिका कंचन दीदी ने कहीं।उन्होंने कहा कि जो भी चीजें चक्र के माध्यम से चलती है,उसकी पुनरावृत्ति होती है।आज के इंसान के पास ज्ञान तो काफी है,लेकिन बिडंबना यह है कि उसके मन के अंदर शीतलता ही नहीं है।आज बाहरी चकाचौंध तो अधिक है,परंतु मन के अंदर शांति नहीं है।जब व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त हो जाती है तो वह विनम्र हो जाता है।

माया में लीन लोग ईश्वर को नहीं पहचान पाते हैं : कथा वाचिका कंचन दीदी 2कंचन दीदी ने कहीं कि हमारे शरीर में ऊर्जा के मुख्य तीन स्थान होते हैं।जिसमें से आंख,हाथ की हथेली व पांव के तलवे होते हैं।आत्मज्ञान मिलने से यह समझ आ जाता है कि अगर आज माया की दुनिया में रहेंगे तो कल सजा मिलनी तय है।घर-परिवार छोड़ने से ज्यादा महत्व अपने अंदर के बुराई को त्याग करें।सुख-दुख मनुष्यों के कर्मो से ही मिलती है।सभी कर्म के ही रिश्तेदार होते।उन्होंने कहा कि योगी वही है,जो हर चीज समय के अनुकूल करता है।

माया में लीन लोग ईश्वर को नहीं पहचान पाते हैं : कथा वाचिका कंचन दीदी 3कथा की शुरुआत शिव स्तुति से की तो बीच-बीच में कई भजनों की प्रस्तुति की तो श्रद्धालुओं ने खूब पसंद की।कथा के दौरान गायक प्रिंस कुमार,ढोल वादक,नंद राजा,पैड वादक अजय कुमार व ऑर्गन वादक शिवा कुमार साथ दे रहे थे।मौके पर आयोजक सह पूर्व डीपीओ शिवकुमार शर्मा,संजीव कुमार,जय जय राम राय, राम चंदर चौधरी सहित सैकड़ों महिलाएं व पुरुष श्रद्धालुमौजूद थे।

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