बरौनी डेयरी में हो रहे करीब 100 करोड़ की हेराफेरी का स्पेशल ऑडिट ईडी या सतर्कता आयोग से कराया जाए। बरौनी डेयरी के एम डी को अविलंब पद मुक्त किया जाए। पशुपालन सचिव एन विजयलक्ष्मी के दबाव में 6 विभिन्न जांच समितियों ने आज तक नहीं सौपा अपना रिपोर्ट। बेगूसराय से सरकार में मंत्री एवं जनप्रतिनिधि अविलंब बरौनी डेयरी को बचाने हेतु आगे आए।
डीएनबी भारत डेस्क
प्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए बरौनी डेयरी के पूर्व अध्यक्ष श्री मोहन मुरारी जी ने कहा कि अध्यक्ष विजय शंकर सिंह एवं एम डी रविंद्र प्रसाद द्वारा बरौनी डेयरी में हो रहे सैकड़ों करोड़ रुपए की हेरा फेरी वित्तीय अनियमितता वास्तव में आर्थिक अपराध कोटि का है। इसलिए इसकी जांच काॅम्फेड पदाधिकारी के बजाय आर्थिक अपराध नियंत्रण इकाई या सतर्कता आयोग से कराई जाए। बिहार सरकार के सचिव मत्स्य एवं पशुपालन एन विजयलक्ष्मी के दबाव में अयोग्य एवं अवैध रूप से बरौनी डेयरी के एम डी पद पर रवींद्र प्रसाद का 30 अप्रैल 2024 का योगदान अनुचित एवं नाजायज है।

एमडी रविंद्र प्रसाद अध्यक्ष विजय शंकर सिंह से मिली भगत कर विगत 20 माह में बरौनी डेयरी से लगभग 100 करोड़ रुपए का वित्तीय अनियमितता कर डेयरी को लूटकर बर्बाद एवं बंदी के कगार पर पहुंचा दिया। बरौनी डेयरी के बंद होने से बेगूसराय,खगड़िया, लखीसराय एवं पटना जिला के लगभग 50 लाख किसानों का नगदी आमदनी का महत्वपूर्ण स्रोत चौपट हो जाएगा। कृषि प्रधान बेगूसराय के विकास में पशुपालन अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। सौभाग्य से बेगूसराय के सांसद केंद्र में और दो-दो मंत्री बिहार सरकार में खासकर मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री जिसके अधीन बरौनी डेयरी है,मगर दुर्भाग्य है कि दिन के उजाले में डेयरी में लूट मची है।इसलिए जिला के सभी जनप्रतिनिधि मिलकर अविलंब बरौनी डेयरी को बचाने हेतु आगे आए और स्पेशल ऑडिट के लिए पहल करें तथा एमडी को अविलम्ब पदमुक्त किया जाए।
इस अवसर पर बरौनी डेयरी के बोर्ड सदस्य दीपक कुमार ने कहा कि अध्यक्ष विजय शंकर सिंह ने एम डी से मिली भगत कर अपने पुत्र आदित्य रंजन को पटना विपणन जोन संख्या-10 का उप वितरक सह परिवहन कर्ता बिना किसी टेंडर एवं वैध प्रक्रिया के अनुचित ढंग से नियुक्त किया। अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग कर संवेदक की इनोवा गाड़ी को हटाकर अपने भाई के नाम पर गाड़ी खरीद कर स्वयं चढने में उपयोग करना तथा हर माह अपने भाई के बैंक खाता से मोटी रकम उनके द्वारा प्राप्त करना, इस मद में करोड़ों रुपए का लूट हो रहा है। जो नियम विपरीत संघ के विधि का उल्लंघन एवं अध्यक्ष द्वारा समर्पित आदर्श आचरण शपथ पत्र के विपरीत और पद का दुरुपयोग कर प्रत्यक्ष अनुचित लाभ प्राप्त करने का मामला है।
जबकि अध्यक्ष द्वारा निर्धारित यात्रा भत्ता और विश्राम भत्ता भी प्राप्त कर रहे है और गाड़ी का भी उपयोग हो रहा है।गाड़ी उपयोग की अतिरिक्त सुविधा प्राप्त करने हेतु सक्षम प्राधिकार से स्वीकृत्यादेश भी प्राप्त नहीं किया गया है। इस प्रकार गाड़ी मद में व्यय का मामला सरचार्ज योग्य है।उन्होंने कहा कि बिना बोर्ड की स्वीकृति लिए बैंकों से लगभग 100 करोड़ रुपए का कर्जा लेकर डेयरी को विभिन्न रूपों से लूटा जा रहा है।वर्ष 2024-25 के ऑडिट रिपोर्ट में भी 30 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा दिखाया गया है,जो वास्तव में 60 करोड़ रुपए का घाट के बराबर है। क्योंकि पूर्व में किसानों को विभिन्न सुविधाएं जैसे सुधा दाना अनुदान, लीन इंसेंटिव और मूल्यांतर को पूर्णतः बंद कर दिया गया तथा बोनस एवं मृत्योप्रांत आश्रितों को मिलने वाली राशि भी नहीं के बराबर दिया जा रहा है।
इसलिए उसे जोड़कर डेयरी का घाटा 30 करोड़ के बदले 60 करोड़ रु से ज्यादा है।जबकि हमारी डेयरी पिछले 10 वर्षों से लगातार मुनाफे में चल रही थी और दूध संग्रह भी हमारा लगातार बढ़ रहा था। वर्तमान एमडी के पदस्थापन के बाद हमारा डेयरी घाटे में चल रही है और दूध संग्रहण भी लगातार घट रहा है।प्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार राज्य दूग्ध उत्पादक संघ के अध्यक्ष अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि गंगा नदी के किनारे बसे एक खास तरह के मिट्टी एवं जलवायु में चारा खाकर पले हमारे पशुओं के दूध की विशेषता के चलते बरौनी डेयरी की प्रतिष्ठा पूरे देश में बढा। हमारे दूध को पूरे देश में सबसे ज्यादा पसंद किया गया।जाड़ा,गर्मी एवं बरसात में कठिन मेहनत से दूध रूपी अमृत समाज एवं देश के लिए पैदा करने वाला किसानों को अपने दूध का उचित कीमत नहीं मिलता है।
बर्षो से किसानों को मिलने वाली सारी सुविधाएं वर्तमान एमडी के द्वारा बंद कर दिया गया है,जबकि हमारे बीच अमूल डेयरी और निजी डेयरी का बाजार दिन-रात फल फूल रहा है और बरौनी डेयरी का दूध संग्रहण लगातार घटता जा रहा है।हमारा संग्रहण 5 लाख ली से घटकर 4.50 लाख लीटर हो गया है,जो बंदी के कगार पर पहुंचाया जा रहा हैव बरौनी डेयरी यदि बंद होगा तो निजी डेयरी किसानों के दूध का दाम घटाकर किसानों को लूटेंगे।इसलिए दूध उत्पादकों के सामने करो या मरो की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसलिए मीडिया के माध्यम से हम सरकार,जिला प्रशासन और जिला के जनप्रतिनिधियों को इस आपात स्थिति में आगे आकर किसानों को बचाने हेतु तुरंत हस्तक्षेप करें। वही दूग्ध उत्पादकों को जागरुक कर संगठित होने का भी उन्होंने अपील किया।यदि सरकार एवं प्रशासन अविलंब हस्तक्षेप नहीं की तो हम सड़कों पर उतरने को मजबूर होगें।
डीएनबी भारत डेस्क