पूसा विवि: वैज्ञानिकों को ‘गुरु’ मानकर किसान चाची ने किया कमाल, छात्रों को दिया सफलता का मंत्र
डीएनबी भारत डेस्क
डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में प्रसार शिक्षा परिषद की नवमी बैठक 28 और 29 नवंबर को आयोजित की जा रही है। बैठक में प्रसार शिक्षा सलाहकार परिषद के सदस्य पद्मश्री राजकुमारी देवी , भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व उपमहानिदेशक प्रसार शिक्षा,डा पी दास , पूर्व सहायक महानिदेशक डॉ रणधीर कुमार सिंह, प्रगतिशील किसान योगेन्द्र कुमार पाठक एवं प्रगतिशील किसान राघव शरण सिंह ने शिरकत की।

अध्यक्षीय भाषण देते हुए कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रसार के क्षेत्र में केवीके का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कई केवीके देश के टाप टेन कृषि विज्ञान केन्द्र शामिल हैं लेकिन वे चाहते है कि सभी सोलह केवीके देश भर के टाप 20 कृषि विज्ञान केन्द्र में शामिल हो। उन्होंने कहा कि प्रसार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को माडल बनाने की आवश्यकता है ताकि पूरे देश में उस प्रसार के माडल का उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान बहुत सारे किसानों से संबंधित समस्यायें उभर कर आयी है उन सब पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रसार के क्षेत्र में वार्षिक लक्ष्य तय करने पर भी जोर दिया और कहा कि तीन महीने में इन लक्ष्यों का मूल्यांकन स्वयं करें और छह महीने में विश्वविद्यालय स्तर पर मूल्यांकन होना चाहिए।
प्रसार शिक्षा के पूर्व उपमहानिदेशक डॉ पी दास ने कहा कि पूसा का महत्व कृषि शिक्षा में वैसा ही है जैसा अयोध्या का है। यहीं से कृषि शिक्षा की सुरुआत हुई । उन्होंने कहा कि पूसा एक तीर्थस्थल है। उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा के तौर तरीके अब काफी पुराने हो गए हैं। नये दौर में प्रसार शिक्षा को भी समावेशी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि मल्टी डिसिप्लिनरी एप्रोच के साथ कृषि प्रसार शिक्षा को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अनुसंधान के स्तर पर काफी अच्छा कार्य किया है।उन सबको किसानों तक इस तरह से पहुंचाने की आवश्यकता है कि किसान उसका उपयोग कर लाभ कमा सके। उन्होंने कहा कि कम पानी के इस्तेमाल और कार्बन फ्री कृषि जैसे अत्याधुनिक तकनीक के बारे में भी विस्तार शिक्षा के माध्यम से किसानों को जागरूक करना होगा।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण , पानी और मिट्टी की सुरक्षा आवश्यक है तभी सस्टेनेबल कृषि का विकास हो सकेगा। पद्म श्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को वे गुरूजन की तरह से समझती है। यहीं से सीखकर उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया। उन्होंने कहा कि गरीबी के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हमारी सोच है। यदि हम ठान ले तो कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण दिया और बताया कि कैसे वे पहले पाई पाईं को तरसती थी और जब आगे बढ़ने का संकल्प लिया तो सभी बाधाओं को पार कर लिया।

सार शिक्षा परिषद के किसान सदस्यों ने किसानों की समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ रत्नेश झा ने विश्वविद्यालय प्रसार के क्षेत्र में चल रहे नवोन्मेषी कार्यक्रमों की जानकारी दी और अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन डॉ सौरव त्रिवेदी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनिता सत्पथी ने किया। कार्यक्रम के दौरान डीन पीजीसीए डा मयंक राय, स्कूल आफ़ एग्री-बिजनेस एंड रुरल मैनेजमेंट के निदेशक डॉ रामदत्त, डॉ महेश कुमार, डॉ कुमार राज्यवर्धन अटारी पटना के प्रतिनिधि, केवीके के वैज्ञानिक, शिक्षक एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट