उन पुण्यात्माओं पर भक्ति महारानी की कृपा होती है जो सभी प्रकार से अपने अंतः मन से परमात्मा को याद करते हैं- स्वामी चिदात्मन जी महाराज

DNB Bharat Desk

सिद्धाश्रम सिमरिया धाम के ज्ञान मंच से श्रीमद् भागवत महा महाभागवत श्रीमद् देवी भागवत के कथा में स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि 

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उन पुण्यात्माओं पर भक्ति महारानी की कृपा होती है जो सभी प्रकार से अपने अंतः मन से परमात्मा को याद करते हैं। 

उन्होंने कहा कि वास्तव में भाग्यवान को ही भागवत सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है त्रेता युग में भगवान श्री राम ने अपना कर्तव्य करके दिखलाया की एक मां के प्रति क्या कर्तव्य होता है एक पिता के प्रति क्या कर्तव्य होता है गुरु के प्रति क्या कर्तव्य होता है अपनों से श्रेष्ठ जनों के प्रति क्या कर्तव्य होता है और राष्ट्र के प्रति क्या कर्तव्य होता है राज्य के प्रति क्या कर्तव्य होता है और राज्य धर्म के प्रति क्या कर्तव्य होता है वह सब करके दिखलाया और वह हम सबों के लिए आज भी अनुकरणीय है, 

उन पुण्यात्माओं पर भक्ति महारानी की कृपा होती है जो सभी प्रकार से अपने अंतः मन से परमात्मा को याद करते हैं- स्वामी चिदात्मन जी महाराज 2कोई भी मानव अगर धर्म का कार्य लोभ क्रोध मोह पूर्वक सिद्ध करना चाहता हो तो उसकी मनोरथ कभी सिद्ध नहीं होती जो निष्काम सोच रखकर भक्ति करते हैं उनकी सारी मनोरथ सिद्ध होती है ।अगर आप अपनों से बड़ों का आदर नहीं करते हों अगर आपकी वाणी में मृदुता ना हो अगर अपने से श्रेष्ठ जनों के प्रति आपका आदर ना हो तो याद रखें आपसे बड़ा मूर्ख इस पृथ्वी पर कोई नहीं है, जिसमें सत्य असत्य के ज्ञान का अनुभव नहीं हो वह वास्तव में ज्ञानी कहलाने योग नहीं है अभिमान सब प्रकार से घातक ही होता है 

इसीलिए भूल कर भी अभिमान नहीं करना चाहिए वास्तव में श्रेष्ठ संतान वही कहलाने योग्य होते हैं जिसमें अपने माता-पिता और अपने से श्रेष्ठ जनों का सम्मान करने का भाव हो श्रेष्ठ माता-पिता वही कहलाने योग्य होते हैं जो अपने संतान को सभी प्रकार की शिक्षा देते हैं इसीलिए प्रथम पाठशाला मां को ही कहा गया है इसीलिए कहा गया है । उन्होंने कहा कि धर्म के चार चरण होते हैं -सत्य ,शौच, दया और दान।

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