प्रायः लोक लज्जा भंग होने का भय लगा रहता है शौचालय में, शौचालय में फैली गंदगी और मुंह चिढ़ाता पास में लगा बन्द चापाकल, मेला एवं कल्पवास क्षेत्र में शौचालय ,पेयजल और स्वच्छता की अब भी दुरूस्त नहीं हुई है व्यवस्था ।
डीएनबी भारत डेस्क
प्रायः लोक लज्जा भंग होने का भय लगा रहता है शौचालय में। किसी भी शौचालय में इसको लेकर कोई चीज़ नहीं लगाई गई है। शौचालय निर्माण केवल स्वच्छता तक ही सीमित नहीं हो स्वच्छता महोत्सव में। इसमें लोक लज्जा का भी ध्यान रखना चाहिए। जहां पर महिला हो या पुरूष अपने आप को शौच के दौरान सुरक्षित महसूस कर सकें। दूसरी ओर कल्पवास मेला क्षेत्र में शौचालय तो बन रही है और कहीं कहीं बन भी गई है।

पर वहां शौचालय में गंदगी फैली हुई है और उसके पास लगा बन्द चापाकल मुंह चिढ़ा रहा है। दर्जन भर ऐसे शौचालय हैं वहां तो अभी तक सामने का पर्दा भी नहीं लगाया जा सका है। कई महत्वपूर्ण स्थानों पर शौचालय तो बना दिया गया है पर वहां चापाकल लगाया ही नहीं गया है। इसमें से एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी शामिल है। हां अगर आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शौचालय का उपयोग करने आए हैं तो पहले सावधान हो जाएं फ़िर आप बाहर दूसरे टेंट के पास से बाल्टी में पानी ले आएं और शौचालय में पर्दे की फट्टी पकड़ कर रहें नहीं तो आपकी लोक लज्जा भंग हो सकती है।
दूसरी तरफ आलम यह है कि यहां 24 घंटे में बमुश्किल से एक बार शौचालय की साफ सफाई हो जाती है। शौचालय निर्माण में किसी भी कैटेरिया का ख्याल नहीं रखा जाता है केवल किसी भी तरह से बना दिया जाता है। जबकि इसके लिए सरकार द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान किया जाता है पर उस ओर किसी भी सक्षम पदाधिकारी का ध्यान जाता ही नहीं है। शौचालय निर्माण के साथ साथ शौचालय में अन्दर से एक टोका लगाया जाना चाहिए ताकि जो भी व्यक्ति शौचालय का उपयोग कर रहें होंगे वह अन्दर से टोका लगा लेंगे।
और इसके साथ ही शौचालय और शौचालय के पास की चापाकल की किसी रंगीन पर्दे से घेराबंदी किया जाना चाहिए था। इससे लोगों के लोक लज्जा भंग होने की भय की संभावना काफी कम हो जाती।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट