इस बावत भाजपा नेता मो साबरी ने सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन को ई-मेल के माध्यम से आवेदन तथा फोटो भेज कर की शिकायत
डीएनबी भारत डेस्क

प्रखंड के सातनपुर में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI ) द्वारा बन रहे फ्लाईओवर एवं नाला का निर्माण का कार्य एक संवेदक के द्वारा कराया जा रहा है। स्थानीय दुकानदारों एवं ग्रामीणों में काफी उत्साह भी था। करोड़ों रुपए की लागत से बन रही फ्लाईओवर सह नाला निर्माण शुरू हुए अभी कुछ माह ही बिता था कि बन रहे नाले के ढक्कन टुटने लगे तथा दर्जनों स्थानों पर दरारें आने लगी। जिससे एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है और लोगों की जान भी जा सकती है इस बावत जब संवेदक से भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पुर्व प्रदेश प्रवक्ता रुमान अहमद साबरी ने दुरभाष पर सम्पर्क किया तो संवेदक ने पंद्रह वर्षों की देख-रेख का हवाला देते हुए कहा कि टुटता है और फिर बनाया जाता है।
जब भाजपा नेता मो साबरी के द्वारा पुछा गया कि घटिया निर्माण समाग्री का उपयोग कर बनाया ही क्यों जाता है जो महज छह महीने में ही टुटने लगता है। जीस पर संवेदक के द्वारा अमानवीय ज़वाब दिया गया।जिससे स्थानीय लोगों में भी काफी आक्रोश है तथा सभी लोग उच्चस्तरीय जांच की मांग करने लगे। इस बावत भाजपा नेता मो साबरी ने सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन को ई-मेल के माध्यम से आवेदन तथा फोटो भेज कर शिकायत किया तथा निर्माण समाग्री के गुणवत्ता के जांच की मांग की तथा दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। निर्माण में गाइड लाइन के अनुरुप कार्य भी नहीं कराया जा रहा है।
फ्लाई ऐश से फ्लाईओवर को भरा जा रहा है जिसे खुला छोड़ा जाता है जो हवा में उड़ता है जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT ) के अनुसार फ्लाई ऐश बहुत ही हानी कारक होता जिसे खुली हवा में छोड़ना स्वस्थ के लिए हानिकर है जिससे लोगों में काफी गंभीर बिमारी पैदा हो सकती है। फिर भी फ्लाई ऐश को खुली हवा में छोड़ दिया जाता है । आखिर क्या कारण है कि निर्माण समाग्री तथा मानक रुप से कार्य की जांच नहीं किया जा रहा है। ज्ञात हो कि सातनपुर चौराहा व्यस्त मार्गों में एक है और यहां सड़क दुर्घटना में काफी मृत्यु हो जाती है जिस कारण यहां फ्लाईओवर का निर्माण कराया जा रहा है।
समस्तीपुर संवाददता अफरोज आलम की रिपोर्ट