न तो पंचायत के मुखिया की मंज़ूरी ली गई, न ही वार्ड सदस्य की सहमति, फिर भी कार्य जारी है।
डीएनबी भारत डेस्क

समस्तीपुर जिला के मोरदिवा पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 5 में नल-जल योजना के अंतर्गत पाइपलाइन बिछाने को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों द्वारा बिना ज़मीन मालिकों की अनुमति के निजी खेत और रास्तों के बीच से जल आपूर्ति की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि न तो पंचायत के मुखिया की मंज़ूरी ली गई, न ही वार्ड सदस्य की सहमति, फिर भी कार्य जारी है।
स्थानीय ज़मीन मालिकों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि सार्वजनिक हित की आड़ में निजी संपत्ति का उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि “पानी जैसी ज़रूरी सुविधा के लिए किसी की मंज़ूरी लेने की ज़रूरत नहीं होती।” सवाल यह उठता है कि अगर सरकारी काम को जनप्रतिनिधियों और संबंधित विभागों की निगरानी में नहीं किया जाएगा, तो फिर जनता कैसे भरोसा करे कि कार्य प्रणाली निष्पक्ष और पारदर्शी है?
इस पूरे प्रकरण में पीएचडी विभाग (लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग) की चुप्पी और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह लापरवाही नहीं कि बिना तकनीकी निरीक्षण, सामाजिक सहमति और वैधानिक प्रक्रिया के इस तरह की परियोजनाओं को अंजाम दिया जा रहा है? क्या प्रशासन अब भी सोता रहेगा या मोरदिवा की यह अनदेखी एक बड़े आंदोलन की चिंगारी बनेगी।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट