डीएनबी भारत डेस्क
जदयू कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित एक प्रेस वार्ता में जदयू के प्रदेश प्रवक्ता परिमल कुमार ने कहा कि जाति आधारित जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय धर्म और भारतीय संस्कृति की विशिष्टता है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 1990-94 से ही पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं सवर्ण गरीबों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्होंने बिहार में जातिगत जनगणना कर एक मिसाल कायम की है।

परिमल कुमार ने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी पूरे देश में जाति आधारित जनगणना कराने का जो निर्णय लिया है, वह ऐतिहासिक और अभूतपूर्व है। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जब कांग्रेस की सरकार केंद्र में थी, तब उन्होंने जातिगत जनगणना का विरोध किया और इसे टालने का काम किया।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस घोषणा को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि मोदी सरकार का यह निर्णय आजादी के बाद पहली बार ओबीसी, ईबीसी, एससी-एसटी और गरीब सवर्णों को उनकी वास्तविक हिस्सेदारी दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने राजद और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे सिर्फ पसमांदा और अन्य वर्गों को भ्रमित करने में लगे हैं।
खगड़िया संवाददाता राजीव कुमार की रिपोर्ट