दया, करुणा, ममता आदि का चरित्र गढ़कर महिला को बंधनों में बांध दिया जाता है – डॉ श्रवसुनी कुमारी

DNB BHARAT DESK

- Sponsored Ads-

जन्म से ही कोई स्त्री महिला नहीं होती, उन्हें बना दिया जाता है। दया, करुणा, ममता आदि का चरित्र गढ़कर महिला को बंधनों में बांध दिया जाता है। श्रम के क्षेत्र में अभी भी महिलाओं को पुरुषों से कम मजदूरी मिलती है। ऐसे में समानता का भाव कैसे उभरेंगे। यह बात आरबीएस कॉलेज तेयाय में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर डॉ श्रवसुनी कुमारी ने कही। जीडी कॉलेज में हिन्दी विभाग की प्राध्यापक डॉ श्रवसुनी कुमारी ने कहा कि महिलाओं को बस उतनी ही स्वतंत्रता दी गई जितना पुरुषों ने चाही।

दया, करुणा, ममता आदि का चरित्र गढ़कर महिला को बंधनों में बांध दिया जाता है - डॉ श्रवसुनी कुमारी 2उन्होनें कहा कि जब आधी आबादी विसित नहीं होंगी तब तक संपूर्णता नहीं आ पाएगी। मौके पर सुनीता झा ने कहा कि लड़कियों को घरों से ही अपने हक अधिकार की लड़ाई लड़ने की जरूरत है। कार्यक्रम में भाग ले रहीं पूर्व मुखिया व भाजपा नेत्री शालिनी देवी ने कहा कि कई क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों से काफी आगे हैं। पूर्व पंचायत समिति सदस्या सुनीता कुमारी कहीं कि महिलाओं के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है।

दया, करुणा, ममता आदि का चरित्र गढ़कर महिला को बंधनों में बांध दिया जाता है - डॉ श्रवसुनी कुमारी 3कार्यक्रम में तेघड़ा नगर परिषद की मुख्य पार्षद सोनाली भारती सहित कई महिलाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन कॉलेज के हिन्दी विभाग की डॉ पार्वती कुमारी ने की जबकि अध्यक्षता डॉ पुनम सिन्हा ने की। महिलाओं की दशा एवं दिशा विषय पर डॉ चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि युरोप महादेश में स्त्रियों का अतिवाद स्वरूप है। यह खतरनाक है। भारत में भी एकल जीवन, विवाह के प्रति संकुचित दृष्टिकोण मानव सभ्यता के लिए घातक हैं। मौके पर एनएसएस व एनसीसी के छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।

Share This Article