मेघौल में भागवत कथा का आयोजन
डीएनबी भारत डेस्क
प्रखंड के मेघौल ग्राम में अ प्रवासी भारतीय कृष्ण शेखरम के आवास पर आयोजित भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक मणि शंकर जी महाराज द्वारा मथुरा में गोपियों के साथ लीला की चर्चा करते हुए भजन जब गा रहे थे बैठे कदम की डलिया पर चिड़िया चुराई के । सखियान को बुलाए कान्हा बांसुरी बजाई के फिर क्या था इस धुन पर पंडाल में मौजूद श्रोता झूम उठे और भजन का आनंद लेते रहे। आगे व्यास पीठ के ज्ञान मंतच से भागवत की चर्चा करते हुए श्री त्रिपाठी ने नागनाथन ,कालिया नाग नाथन सहित विभिन्न लीलाओं की चर्चा करते रहे और एकाग्र होकर श्रोता समाज कथा को सुनते रहे। उन्होंने कहा भगवान भाव के भूखे हैं।
जो कोई भी अंतरात्मा की गहराई से उन्हें याद करता है भगवान उन्हें अपना लेते हैं ।चाहे संत हो अथवा असंत हो ।संत की सेवा तो वह करते ही हैं असंत का नाश करके भी उसका उद्धार करते हैं। वह व्यक्ति जिसका साक्षात भगवान के हाथों वध हो उसका वध नहीं होता है उसका तारण होता है उसका उद्धार होता है ।भगवान किसी का अहित नहीं करते सभी का हित ही करते हैं। आगे उन्होंने कंस वध की चर्चा करते हुए लोगों से देवकीनंदन के शरण में हमेशा रहने का सीख दिया और कहा भगवान भागवत की कथा हमें सदासत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है ।जिसे अपना समाज का और राष्ट्र का भला हो ।तभी मानव जीवन सार्थक हो पता है।
इससे पूर्व कथा के आरंभ में द्वार पूजन और व्यास पीठ पूजन के पश्चात बछवारा प्रखंड के अवकाश प्राप्त शिक्षक और आयोजक कृष्ण शेखरमके प्रारंभिक गुरु उपेंद्र नारायण चौधरी , वैद्यनाथ मिश्र,ने आचार्य मणिशंकर त्रिपाठी का अंगवस्त्र एवं पुष्पमाला पहनकर उनका स्वागत किया । इस मौके पर श्री चौधरी ने कहा जन्मभूमि हमारा फतेहा है लेकिन कर्म भूमि हमारा मेघौलरहा है ।जहां 22 वर्षों तक सेवा दिया है । सैकड़ो विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर देश-विदेश में सेवा दे रहे हैं ।मुझे गर्व है कि हमारा शिष्य कृष्ण शेखरम भी अमेरिका में रहते हुए भारतीय सनातन संस्कृति के ध्वज को धारण किए हुए हैं और अपने घर पर भागवत भगवान् की कथा का आयोजन करपुण्य कार्य कर रहा है ।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट