एकादशी व्रत करने से ग्यारहवें  इंद्रियों की साधना होती है और मन उसके अनुकूल हो जाता है – स्वामी चिदात्मन जी महाराज

DNB Bharat Desk

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय/सिमरिया सोमवार एकादशी तिथि को सिमरिया धाम सर्वमंगला ज्ञान मंच से गुरुदेव प्रातः स्मरणीय स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने भागवत कथा वाचन में कहा की एकादशी ग्यारहवें इंद्रियों की साधना जिसमें पांच कामेंद्री ,पांच ज्ञानेंद्री ,ग्यारहवें में मन को कहा गया है। जो बंधन मोक्ष का कारण है। मन्एव मनुष्या नाम् कारनम् बंधनम् मोक्षते् ।जिससे मन की साधना होती है, जिसका मन बुद्धि और विवेक से संचालित होता है निश्चित तौर पर उससे सत्कर्म होता है ।

जब मन के द्वारा वह सब संचालित होता है तो इस व्यक्ति से गलत कर्म संचालित होता है । मतलब मन ही मनुष्य के बंधन मोक्ष का कारण है , इसमें बुद्धि और अहंकार यह दोनों सात्विक की अहंकार और अगर बुद्धि सात्विक की हो तो मन भी सात्विक कर्म में अधिक लगता है और तामसी हो तो मन तामसी कर्म में अधिक लगता है, अगर मन राजसी हो तो राजसी कर्म में अधिक लगता है।

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एकादशी व्रत करने से ग्यारहवें  इंद्रियों की साधना होती है और मन उसके अनुकूल हो जाता है - स्वामी चिदात्मन जी महाराज 2अगर मन आध्यात्मिक हो तो आध्यात्मिक कर्म में अधिक लगता है ।इसीलिए कहा गया है कि मनुष्य ही बंधन मोक्ष का कारण है।  इसलिए एकादशी व्रत करने से ग्यारहवें  इंद्रियों की साधना होती है और मन उसके अनुकूल हो जाता है, संसार में उसे सारे सुख की प्राप्ति होती है।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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