डीएनबी भारत डेस्क
भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र के संजात पंचायत में बिहार सरकार कृषि विभाग के अंतर्गत आत्मा बेगुसराय द्वारा कृषि जन कल्याण चौपाल बसंतिक रबी बहाभियान 2025 का आयोजन किया गया।प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, भगवानपुर,शाश्वत कुमार द्वारा आत्मा योजना अन्तर्गत किसानों को कृषि के विभिन्न प्रक्षेत्रों में प्रशिक्षण ,परिभ्रमण के बारे में बताया l एवं तकनीकी प्रबंधक ने बताया कि खेतीबाड़ी में सिंचाई प्रणाली का बहुत महत्व होता है. अगर फसलों की सिंचाई पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो इसका सीधा प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ता है. कई बार खेती में सिंचाई कम या ज्यादा होने के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में किसानों को फसलों की सिंचाई तकनीक की जानकारी अवश्य रखनी चाहिए।

Pmksy योजना के तहत 90 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई की आधुनिक प्रणालियां उपलब्ध है। अभी बेहतर तरीका स्प्रिंकलर और रेनगन से पूरे खेत में एक समान पानी से सिंचाई हो सकती है इसमें वर्षा की तरह सिंचाई होती है, जबकि ड्रिप एरिगेशन में सीधे पौधे की जड़ में पानी पहुंचता है। जिले में सिंचाई सुविधाओं में शामिल नहर, नलकूप की पहुंच अधिकांश हिस्सों में नहीं है, जिससे किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी संसाधनों का ही सहारा रहता है। इससे किसानों के खेती की लागत बढ़ रही ड्रिप प्रणाली से गन्ने, सब्जी, केला और बागवानी की फसलों में उत्पादकता बढ़ रही है। जैसे-जैसे किसानों को योजना की जानकारी हो रही है, वैसे ही इसके उपयोग करने में रुचि ले रहे हैं। स्प्रिंकलर और रेनगन से धान, गेहूं, सब्जी की सिंचाई में बचत हो रही है। महंगे डीजल के कारण भी यह विधि लाभप्रद साबित हो रही है।
कृषि समन्वयक पवन कुमार ने कृषि विभाग के जैविक खेती पर कृषि इनपुट , खुद से तैयार करने के तरीके को बताया,बीज उपचार एवं टीकाकरण के फायदे की विस्तारित चर्चा करते हुए उन्होंने बताया जैविक तरीके जैविक कृषि के अन्तर्गत बीज को जैव – उर्वरकों के द्वारा उपचारित करें। नाइट्रोजन जीवाणु खाद के लिए दलहनी फसलो जैसे : मूंग, उड़द, चना, इत्यादि को राइजोबियम कल्चर से तथा अनाज वाली फसलों को एजेक्टोबेक्टर/ एजोस्पाइरिलम कल्चर से बीज उपचार में मिट्टी जनित रोग से तो छुटकारा पा ही सकते हैं साथ ही पौधे को उचित पोषण भी मिल जाते हैं l उन्होंने अनुदानित दर पर बीज वितरण के बारे में भी बताया ,के द्वारा मिट्टी जांच ,कृषि यंत्रीकरण योजना , एवं कृषि विभाग के रबी बीज वितरण योजना को बताया l
सहायक तकनीकी प्रबंधक राजू कुमार द्वारा मशरूम की खेती पर चर्चा करते हुए बताया कि ढ़ींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती वर्ष भर की जा सकती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट और सापेक्षित आद्र्रता 70-90 प्रतिशत चाहिए। ऑयस्टर मशरूम को उगाने में गेहूं व धान के भूसे और दानों का इस्तेमाल किया जाता है। यह मशरूम 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाता है। इसका उत्पादन अब पूरे भारत वर्ष में हो रहा है।
कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है। मशरूम की खेती के लिए किसान किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं और ये आत्मा विभाग द्वारा भी दिलाया जाता है l
बेगूसराय भगवानपुर संवाददाता गणेश प्रसाद की रिपोर्ट