नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू, वर्ती चूल्हे के निर्माण में जुटी

DNB Bharat Desk

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नहाय खाय के साथ ही शनिवार को चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया। छठ वर्ती पर्व की तैयारी में जुट गये है। छठव्रती महिलाओं ने छठ व्रत को लेकर पवित्र जगहों से काली मिट्टी लाकर चूल्हे का निर्माण किया। इस महापर्व को लेकर लोगों में अटुट श्रधा व विश्वास है, महिलाओं को ध्यान रखना पड़ता है कि पूजा के दौरान किसी प्रकार की ग़लती ना हो,इसलिए नहाय खाय, खरना हो या छठ के लिए बनाए जा रहे प्रसाद के दौरान बच्चों को अलग रखा जाता है।

छठ महापर्व को लेकर वर्ती संध्या कुमारी,कंचन देवी,पूजा कुमारी,बेबी कुमारी आदि ने बताया कि लोक आस्था का पर्व छठ बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना गया है, इस पर्व का नियम बहुत ही कठिन है। पर्व करने वाली महिलाओ को गंगा स्नान के साथ ही शरीर की शुद्धि व ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। पर्व के दौरान कंम्बल बिछावन जमीन पर सोना पड़ता है। नहाय खाय से लेकर खरना फिर छठ पर्व के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद भी मिट्टी के चुल्हे व आम की लकड़ी से बनाना होता है। उन्होने बताया कि पर्व की शुरुआत में पवित्र जगहो से काली मिट्टी लाया जाता और उस मिट्टी से चुल्हे का निर्माण किया जाता है।

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नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू, वर्ती चूल्हे के निर्माण में जुटी 2साथ ही उसकी रखवाली भी करनी पड़ती है, जिससे चूल्हे के पास कोई पक्षी या जानवर समेत बच्चे जुठ्ठे ना कर दे। इसलिए जब तक पुर्ण रूप से सुख नहीं जाता रखवाली करनी पड़ती है। नहाय खाय को लेकर सुबह से ही छठव्रतियों ने गंगा स्नान कर शरीर को पवित्र किया और मिट्टी से निर्मित चूल्हे पर अरवा चावल,चने की दाल, कद्दु का सब्जी बनाकर पहले खुद ग्रहण किया फिर अपने परिवार के लोगों को भी भोजन कराया।

 नहाय खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू, वर्ती चूल्हे के निर्माण में जुटी 3उन्होने बताया कि रविवार से ही छठव्रती महिलाओं को 36 धंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायगा। 26 अक्टूबर रविवार को खाराना है। पहला अर्घ्य 27 अक्टूबर सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायगा। मगलवार 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जायगा। उसके बाद छठ वर्ती अपना निर्जला व्रत समाप्त करेगी।

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