डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/बीहट-कार्तिक महीना घोर से घोर पातकी को भी सिर्फ गंगा का दर्शन कर लेने से उसके सारे मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं । उक्त बातें रविवार को सिद्धाश्रम सिमरिया धाम में भागवत कथा कहते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा। इस पुनीत अवसर पर व्यास पीठ पर आश्रम के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी, लक्ष्मण झा, मीडिया प्रभारी नीलमणि ,आचार्य नारायण झा ,सदानंद झा, राम झा ,श्याम झा, वरुण पाठक ,देवेश मिश्रा , सहायक पुलिस अवर निरीक्षक विनोद रजक, रमेश मिश्रा, दिनेश झा ,राजेश झा ,अरविंद चौधरी ,सुनील भारद्वाज, राधेश्याम चौधरी, आदया देवी, बच्ची देवी, दीप्ति देवी ,अरुणा देवी एवं रंजना देवी सहित अन्य उपस्थित रहे श्रद्धालुओं ने दोनों हाथ उठाकर जय गुरूदेव स्वामी की जयघोष लगाते रहे।

वहीं स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कथा में कहा कि कार्तिक महीना में धन और धर्म दोनों से संबंधित कई प्रयोग किए जाते हैं इस महीना तुलसी का पेड़ लगाने और तुलसी विवाह का बहुत बड़ा महत्व है और जो कोई भी प्राणी इस पुनीत महीना में दान देता है उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है । आगे उन्होंने कहा कि
साधु का मतलब जो सारे इंद्रियों पर विजय प्राप्त किया हो जो सारे विकार पर विजय प्राप्त किया हो उसी को हम साधु कह सकते हैं ना कि जो पूरे शरीर पर चंदन लगाकर गेरुआ वस्त्र धारण कर यत्र तत्र घूमता फिरे उसको किसी धर्म कर्म पूजा पाठ से कोई मतलब नहीं उसे हम साधु की श्रेणी में नहीं रख सकते हैं , जो मनुष्य धर्म का प्रचार प्रसार करता हो यज्ञ करता हो, दान करता हो और तीर्थ करता हो उसे ही हम साधु के श्रेणी में रख सकते हैं। उन्होंने कार्तिक माह के महात्म पर कहा कि कार्तिक महीना को सबसे शुद्ध महीना भी माना गया है और कहते हैं भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना कार्तिक को ही कहा जाता है। इस कार्तिक महीना में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सभी धर्मात्माओं के ऊपर अमृत की वर्षा करते हैं इस महीना में मां लक्ष्मी स्वयं धरती पर परिभ्रमण करने आती हैं और भक्तों को अपार धन देती है।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट