डीएनबी भारत डेस्क
नालंदा जिले में करवाचौथ का पर्व बड़ी ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। देर शाम चांद का दीदार होते ही सुहागिन महिलाओं ने विधिवत पूजा-अर्चना कर अपना व्रत तोड़ा।

पूरे दिन निर्जला रहकर महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख-समृद्धि की कामना की। शहर से लेकर गांव तक करवाचौथ का उत्साह देखने को मिला। महिलाएं सुबह से ही पारंपरिक परिधान, सोलह श्रृंगार और पूजा की थाल सजाकर तैयार थीं।
करवाचौथ का यह व्रत हिंदू धर्म में वैवाहिक निष्ठा और अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसका उल्लेख महाभारत काल से भी जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त किए थे, तभी से इस व्रत का महत्व और बढ़ गया।
करवा का अर्थ है मिट्टी का घड़ा, जो सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि चौथ का मतलब चौथी तिथि से है।यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। महिलाएं दिनभर निर्जला रहकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति के दर्शन के बाद ही जल ग्रहण करती हैं।
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