डीएनबी भारत डेस्क
सिंघिया थाना क्षेत्र के सालेपुर गांव निवासी मदरसा संचालक मुफ्ती सईद के द्वारा इलाके में मदरसा शिक्षा के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। हैरान करने वाली बात यह है कि एक ही पते पर एक नहीं, बल्कि तीन-तीन मदरसे चलाए जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि दान (चंदा) की रसीद पर मदरसे का नाम कुछ और, गेट पर लगे बोर्ड पर दूसरा और बच्चों को दिए जा रहे एडमिशन लेटर पर तीसरा नाम लिखा है।

इस खुलासे के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है। गांव-इलाके में अब यह चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है और लोग जगह-जगह इसी पर बहस कर रहे हैं। दान देने वालों का कहना है कि यह सीधे-सीधे गड़बड़ी और धोखाधड़ी का मामला है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक ही पते पर अलग-अलग नामों से मदरसे चलाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? और सबसे बड़ा सवाल – आखिर चंदे के पैसों का असली इस्तेमाल कहाँ हो रहा है?
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यह सब एक सोची-समझी चाल है, ताकि लोगों को भ्रमित कर ज्यादा से ज्यादा चंदा इकट्ठा किया जा सके। “नाम बदल-बदल कर रसीद काटी जा रही है, बच्चों के नाम पर दान लिया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है,” एक दानदाता ने गुस्से में कहा।
मामला तूल पकड़ते ही प्रशासन की नींद भी उड़ गई है। शिक्षा विभाग और संबंधित बोर्ड से जांच की मांग तेज हो गई है। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो यह मदरसा शिक्षा के नाम पर चल रहा अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा साबित हो सकता है। फिलहाल लोग प्रशासन की कार्रवाई का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या सच सामने आएगा या मामला दबा दिया जाएगा?
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट