डीएनबी भारत डेस्क
भले ही केंद्र और बिहार सरकार के द्वारा ढिंढोरा पीटा जाता हो या किसानों की आय दोगुनी करने से संबंधित डंका बजाया जाता हो या फिर इंटरनेट, वार्ड सौंफ के माध्यम से किसानों को स्थानीय बाजारों में मिलने वाली तमाम तरह के रसायनिक खाद, बहुराष्ट्रीय कंपनियों समेत इंडियन कम्पनियों के बीज, किटनाशक दवाइयों पर निर्धारित मुल्यों से अधिक ढाई सौ से लेकर तीन सौ तक अधिक वसुले जा रहे हैं।

हद तो यह है कि अधिकृत विक्रेताओं के द्वारा अधिक दाम लिए जाने के वावजूद आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट्स आदि भी देने के लिए बाध्य किया जाता है।इस संबंध में नौला, डीह पर पंचायत, भवानंदपुर, वीरपुर पूर्वी, वीरपुर पश्चिम, गेंन्हरपुर, जगदर, पंचायत,सहुरी,मैदा भवन्नगामा,कारीचक,रत्नमन भवन्नगामा समेत अन्य पंचायतों के किसानों, ने बताया कि कमीशन के लिए पदाधिकारी हों जनप्रतिनिधियों सबों का विचार इतना गिर है कि कहना मुश्किल है।
भले ही निरीहों की तरह ज़िन्दगी जी रहे किसानों को ठकने के लिए नेताओं के द्वारा भगवान का दर्जा दिया जाता हो लेकिन सच तो यह है कि जिस जिस को भी चुना उसी ने किसानों को ऐन केन प्रकारेन लुटने में कोई कसर नहीं छोड़ा है।हद तो यह है कि डुप्लीकेट खाद, बीज, किटनाशक दवाइयों को भी अधिक मुनाफा कमाने के लिए दुकानदारों द्वारा किसानों के आंखों में धूल झोंका जा रहा है।
किसानों ने यह भी बताया कि पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों के यहां जब शिकायत करते हैं तो उन लोगों के द्वारा दुकानदारों को पहले ही टेलीफोन से सुचना दे दिया जाता है। और जांच पड़ताल के नाम पर कार्रवाई करने के बदले कमीशन लेकर दिखावा किया जाता है। पुंछने पर हम किसानों को पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के द्वारा कहा जाता है कि।
आप लोगों की समस्याओं को समाधान के लिए बरीय पदाधिकारियों को पत्र लिखा जा रहा है। नतीजा ढाक के तीन पात वाली होकर कमीशन खोरों के द्वारा टांय-टांय फिस कर दिया जाता रहा है।
बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट