1, 2, 3 नहीं.. 5 लोगों को जिंदा जला दिया, एकमात्र बचे बच्चे ने बताया ‘लोगों ने पूरे परिवार के साथ क्या किया…’

DNB Bharat Desk

डीएनबी भारत डेस्क 

पूर्णिया: एक तरफ दुनिया चांद और सूरज पर जा रही है तो दूसरी तरफ कुछ लोग अभी भी अंधविश्वास और डायन में विश्वास कर रहे हैं। हालांकि बात सिर्फ विश्वास तक हो तो चल सकता है लेकिन जब अंधविश्वास किसी की जान ले ले तब घातक सिद्ध होने लगता है। यही अंधविश्वास तब अपराध बन जाता है जब यह दूसरे की जान लेने लगे। लेकिन पूर्णिया में अंधविश्वास के चक्कर में पड़ा पूरा गांव एक पूरे परिवार के लिए प्राणघातक बन गया। स्थिति यह बनी कि पूरे गांव ने मिल कर एक ही परिवार के 5 सदस्यों को जिंदा जला डाला। परिवार में बचा तो सिर्फ एक बच्चा जो किसी तरह अपनी जान बचा कर भागने में सफल रहा और तब जा कर दुनिया को इस घिनौनी वारदात की जानकारी मिली।

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दरअसल पूर्णिया के  मुएफसिल थाना क्षेत्र के टेटगामा गांव निवासी रामदेव उरांव के बेटे की कुछ कारणों से तबियत बिगड़ गई थी। परिजन उसका इलाज करवाने के बदले झाड़ फूंक करवाने लगे। इस वजह से बच्चे की तबियत बिगड़ती गई और दो दिन पहले उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद पूरा गांव एक सुर में बाबूलाल उरांव के परिवार को डायन का अड्डा मान लिया और हमला कर दिया। पहले तो लोगों ने परिवार के सदस्यों की पिटाई की और जब मन नहीं भरा तो सबको जिंदा जला कर मार दिया।

गांव के लोग इतने पर ही नहीं माने और सभी के शवों को फेंक भी आए। घटना के अगले दिन परिवार के एकमात्र बच्चे ने अपने ननिहाल से पुलिस को फोन कर पूरे मामले की जानकारी तब पुलिस मौके पर पहुंची। लोगों ने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया। इस बार भी बच्चे ने ही आरोपियों के नाम भी बताए तब पुलिस ने दो लोगों को हिरासत मे लिया और पूछताछ में उनकी निशानदेही पर शव बरामद किया।

बताया जाता है कि इससे पहले भी गांव में कुछ लोगों की मौत हो गई थी तो लोग मृतक परिवार पर डायन का आरोप लगा कर उसे प्रताड़ित करते थे लेकिन इस बार तो हद ही कर दी और पूरे परिवार को जिंदा जला कर मार डाला। अब पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी है। मृतकों की पहचान बाबूलाल उरांव, सीता देवी, मनजीत उरांव, रनिया देवी और तपतो मोसमत के रूप में की गई है।

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