डीएनबी भारत डेस्क
सर्व मंगला परिवार की ओर से बाबाजी का जन्मोत्सव भी एकादशी तिथि को मनाया जाता है। और एकादशी तिथि से लेकर गुरु पूर्णिमा तक लगातार 5 दिन का यह कार्यक्रम सब प्रकार से सफल हो और साथ ही साथ यहां के शासक मुख्यमंत्री नितीश, बिहार सरकार को भी साधुवाद यह जानकर खुशी हुई कि मां जानकी का प्रक्टय स्थल पुनौरा धाम (सीतामढ़ी )और सिमरिया धाम को पर्यटक विभाग में हस्तांतरित करने की स्वीकृति मिली यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई साथ ही यहां के संत समाज तीर्थ पुरोहित सभी में एक आशा की किरण जागी ।

उक्त बातें ग्रीष्म नवरात्र के अंतिम दिन शुक्रवार को नवमी तिथि शुक्ल पक्ष को सिद्धाश्रम से श्रद्धालुओं की टोली रथ के साथ-साथ संपूर्ण सिमरिया धाम क्षेत्र का परिक्रमा करते हुए राम जानकी घाट पर पहुंचे और सारे धर्मावलंबियों के साथ-साथ पूज्य गुरुदेव भगवान ने भी गंगा में डुबकी लगाते हुए प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरूदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यक्त किया।
उन्होंने कहा आने वाले भविष्य में आशा कि किरण दिखाई दे रहा है कि सिमरिया का अब सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा । उन्होंने कहा द्वादश कुंभ में निर्धारित है एक राशि पर जब सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति का योग होता है तब कुंभ योग कहलाता है इस समय मिथुन राशि पर सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति के योग से अमावस तिथि को हम लोग लगातार कुंभ स्नान बनाते आ रहे हैं और आज द्वादश कुंभ संपन्न हो गया, इस नवरात्र अंतर्गत श्रीमद् देवी भागवत के माध्यम से सनातनी संस्कृति को परोसने का प्रयास किया गया।
मौके पर सिद्धाश्रम के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी ,मीडिया प्रभारी नीलमणि, निपेनदर सिंह, कौशलेंद्र सिंह ,अमरेंद्र सिंह ,रितेश कुमार ,तरुण कुमार ,पप्पू त्यागी,अरविंद चौधरी,आचार्य नारायण झा ,पं नारायण झा, पं रमेश झा, पं दिनेश झा, श्याम झा, राम झा,लक्ष्मण झा ,रजनीश कुमार, राजा झा, हंस झा, कृष्ण झा एवं रोचकानंद सहित सभी श्रद्धालु शामिल हुए।उन्होंने कहा कि अमावस्या तिथि से लेकर आज तक हम लोग लगातार 9 दिन तक संपूर्ण क्षेत्र का परिक्रमा करते हुए गंगा मैया में स्नान बनाया जो कोई भी इस 9 दिन परिक्रमा करते हुए गंगा में डुबकी लगाते हैं उन सारे भक्तों की सारी मनोरथ पूर्ण हो जाती है, भारत एक महान देश है जहां वेद का अनुसंधान होता आया है ।
जहां वेदांग का अनुसंधान होता है जहां की परंपरा विश्व के लिए अनुकरणीय है । जिसने संपूर्ण विश्व को अपना परिवार माना है, शक्ति प्रदान किया यह भारत देश जिसका उद्देश्य रहा है मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव, साथ ही साथ यहां की परंपरा इस प्रकार की रही है जिससे हमारा कायिक, मानसिक, संसार्गिक सब प्रकार के पाप ताप दूर होते हैं साथ ही साथ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में इनका अनुकरणीय वर्णन है इसलिए वेद को समझाने के लिए पुरानों की रचना हुई महाकाव्य की रचना हुई इतिहास पुराण के माध्यम से हम वेद को समझने का प्रयास करते हैं इस महान देश भारत में हर प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था है ।
बेगूसराय संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट