मनुष्य को अपने कर्म के उपरांत जो समय मिले उसी समय में दिल से भगवान को याद कर लेना चाहिए – माधवाचार्य जी महराज 

DNB Bharat Desk

मनुष्य के हृदय में हमेशा ईश्वर का वास होता है। इसलिए हमेशा लोगों का सम्मान करना चाहिए। जीवन में हमेशा सोच रखना चाहिए कि हमारे कारण किसी व्यक्ति को कोई कष्ट नहीं पहुंचे। उक्त बाते प्रखंड क्षेत्र के गोविंदपुर तीन पंचायत के मुरलीटोल गांव स्थित हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दुसरे दिन सोमवार को वृंदावन से पधारे कथा वाचक माधवाचार्य जी महराज ने कथा के दौरान कहा,

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उन्होंने कहा कि मनुष्य में हमेशा परोपकार की भावना होना चाहिए। समाज की खुशी को अपना खुशी व समाज पर आये हुए संकट को अपना संकट समझकर उस समस्या को समाधान एक जुट होकर करना चाहिए।  उन्होंने कहा कि मनुष्य को कर्मों के आधार पर फल मिलता है,अच्छे कर्म करने पर अच्छे पुत्र की प्राप्ति होता है। आपके दस कपुत पुत्र से अच्छा एक सपुत पुत्र हैं। आपका पुत्र आज्ञाकारी है तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। उन्होने कहा कि मनुष्य को हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलकर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

मनुष्य को अपने कर्म के उपरांत जो समय मिले उसी समय में दिल से भगवान को याद कर लेना चाहिए - माधवाचार्य जी महराज  2अपने माता पिता के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग व गुरु का आदर करना चाहिए। जो मनुष्य विषम परिस्थिति में भी सत्य को नहीं छोड़ता है और धर्म के मार्ग पर चलता है, भगवान वैसे लोगों की प्रार्थना को सुनते हैं और उनका कल्याण होता है।  अन्यथा जो मनुष्य धर्म के मार्ग से भटक जाता है उन्हें ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए हमेशा कथा का श्रवण कर उसको अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। निर्जन वन में रहकर संत बनना आशान है लेकिन समाज में रहकर गृहस्त आश्रम के बीच भक्ति करना उतना ही कठीन है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्म के उपरांत जो समय मिले उसी समय में दिल से भगवान को याद कर लेना चाहिए।

मनुष्य को अपने कर्म के उपरांत जो समय मिले उसी समय में दिल से भगवान को याद कर लेना चाहिए - माधवाचार्य जी महराज  3उन्होंने कहा कि माता पिता के चरणों में चारों धाम है, जो लोग अपने माता पिता की सेवा करता है, तो उसे मंदिर जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि माता पिता की बराबरी कोई नहीं कर सकता, अगर पुत्र रात के बारह बजे भी घर आता है, तो उस समय भी खाना बनाकर देती है, लेकिन वो कभी शिकायत नहीं करती है। पिता खुद फटे कपड़े पहन लेता है लेकिन अपने बच्चों अच्छे से अच्छे कपड़े,खाना व अच्छे संस्कार देने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

मनुष्य को अपने कर्म के उपरांत जो समय मिले उसी समय में दिल से भगवान को याद कर लेना चाहिए - माधवाचार्य जी महराज  4कथा के बीच बीच में कथावाचक के द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे भक्ति भजन से झुमते रहे श्रद्धालु। मौके पर विजय शंकर दास, जगदीश पोद्दार समेत नव युवक दुर्गापूजा समिति मुरलीटोल के सदस्य मनोज कुमार चौधरी, सुजीत कुमार, विट्टु पोद्धार,गणेश पंडित, दीपक कुमार, वंदन पोद्दार, शिव योगेन्द्र पंडित, सुभम कुमार, आषुतोष कुमार, भीम सहनी समेत सैकड़ों की संख्या में महिला पुरूष उपस्थित थे।

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