सनातन पुरातन होते हुए भी नूतन है, यह पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक है-स्वामी चिदात्मन जी महराज
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/बीहट-सिद्धाश्रम सिमरिया धाम के ज्ञान मंच से श्रीमद् भागवत कथा व कार्तिक महात्म की कथा कहते हुए हुए महर्षि चिदात्मन महाराज जी ने कहा कि देव उत्थान (प्रबोधिनी एकादशी) एकादशी करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ करने का फल मिलता है।उन्होंने कहा कि इसी पुनीत तिथि को भगवान विष्णु विश्व ब्रह्मांड का कल्याण करने के लिए क्षीर निद्रा से जागते हैं ।

जो भी पुण्यात्मा इस एकादशी व्रत में तपते हैं उन्हें सारे अभीष्ट की सिद्धि प्राप्त होती है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उनके पुण्य में निरंतर वृद्धि होती है साथ ही उन्हें मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।इस दिन तुलसी विवाह का भी बहुत बड़ा महत्व है ।यह व्रत आत्मा का बोध कराता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से पवित्र और ऊर्जा वान बनाता है ।इसके करने से जीवन में खुशहाली समृद्धि और मानसिक शांति मिलती है। साथ ही साथ कहा गया है कि मांगलिक कार्यों का शुभारंभ के लिए भी यह दिन सर्वोत्तम है।
आगे उन्होंने कहा कि सनातन धर्म बहुजन हिताय बहुजन सुखाय का पर्याय है इसमें मूल तत्व सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की भावना कभी भी कमने वाली नहीं है। क्योंकि सनातन पुरातन होते हुए भी नूतन है, यह पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक है ।कहा गया है कि आज की अनेक व्यक्तिगत पारिवारिक सामाजिक वैश्विक समस्याओं का समाधान सनातन धर्म में निहित है । इसीलिए यह एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है।
मौके पर रविंद्र ब्रह्मचारी, मीडिया प्रभारी नीलमणि ,अरविंद चौधरी ,लक्ष्मण झा,आनंद ,राम झा, अमित कुमार ,पवन कुमार ,रितु देवी ,पूनम देवी, चंद्रभानु देवी ,सुनीता देवी, देवेश मिश्रा, राधेश्याम एवं चौधरी दिनेश झा साहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट