डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/खोदावंदपुर-टूफोरडी नामक रासायनिक कीट नाशक दवा के छिड़काव से दर्जनों एकर में लगा गेहूं का फसल जलकर नष्ट हो गया। इसकी जानकारी मटीहानी प्रखंड से आए किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में जागरण को दिया। किसानों ने बताया कि इसमें दवा कारण नहीं है। ना ही दवा का कोई दोष है। दोष है हम किसानों का। किसानों ने कम पानी में दवा का घोल बनाकर छिड़काव किया। दवा का मात्रा अधिक होने से फसल नष्ट हो गया। मटिहानी प्रखंड के सिरनिया विष्णुपुर निवासी गेहूं उत्पादक किसान आशुतोष राय, दिलीप राय नीतीश राय अरविंद राय एवं अन्य ने बताया कि इन लोगों का शामहो दियारा में खेती-बड़ी है ।
यह सभी किसान अपने खेत में गेहूं बोए हुए हैं। पिछले दिनों टु फोर डी नामक दवा से अपने गेहूं के फसलों पर छिड़काव किया था। दियारा में पानी की उपलब्धता कम होने के कारण इन लोगों ने कम पानी में दवा का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव किया। छिड़काव करने के बाद इनका गेहूं का फसल जलकर नष्ट हो गया। सभी किसान जले हुए गेहूं पौधा का नमूना लेकर शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र आए हुए थे। देखने के पश्चात कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉक्टर रामपाल ने उनको बताया कि इसमें दवा का दोष नहीं है। कम पानी में दवा का घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल नष्ट हुआ है।
किसानों के लिए वैज्ञानिकों का सलाह। ऐसी गलती भविष्य में किसन ना करें। किसानों को सावधान करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर रामपाल ने उनको सलाह दिया है। टु फोर डी दवा का घोल बनाते समय यह याद रखें की एक बीघा में 100 से 125 लीटर पानी में दवा का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें। अन्यथा आपका फसल नष्ट हो जाएगा। जो फसल पूरी तरह नष्ट हो गया वहां दूसरे फसलों की खेती किसानी करें। वैसा खेत जहां दवा का छिड़काव किए हैं गेहूं का पौधा अभी पीला पड़ रहा है ।
तो उन खेतों में 50 ग्राम चीनी और 10 ग्राम यूड़िया को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें ।ऐसा करने से जो फसल अभी पिला हुआ है उसको बचाया जा सकता है। वैज्ञानिक ने दुकानदारों को भी दिया सुझाव । कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पाल ने कीटनाशक विक्रेता दुकानदारों को भी सलाह दिया है। कहा आपके दुकान पर कोई किसान यदि कीटनाशक खरीदने के लिए आता है तो उनको ऐसा सुझाव दें कम पानी में कभी भी दवा का छिड़काव नहीं करें।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट