प्रशांत किशोर ने बक्सर सांसद पर कसा तंज, कहा- सांसद जनता के प्रतिनिधि होते हैं, उनका काम जनता की सेवा करना है, उन्हें धमकाना नहीं, इससे पता चलता है कि वह नेता नहीं बल्कि बाहुबली हैं

DNB Bharat Desk

बिहार के नेताओं को मुफ्तखोरी की आदत हो गई है लेकिन अब उनकी मुफ्तखोरी जल्द ही खत्म होने वाली है, अब जनता के पास जन सुराज का विकल्प है- पीके

डीएनबी भारत डेस्क

कैमूर: बिहार विधानसभा की चार सीटों पर 13 नवंबर को उप-चुनाव होने जा रहे हैं। महज एक महीने पहले बनी पार्टी जन सुराज आगामी उप-चुनाव में चारों सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर अपने प्रत्याशियों के प्रचार और जनसंवाद में पूरी तरह से जुटे हुए हैं। इसी क्रम में आज वे रामगढ़ विधानसभा पहुंचे जहां उन्होंने जन सुराज के प्रत्याशी सुशील सिंह कुशवाहा के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया।

प्रशांत किशोर ने कैमूर जिले के पत्रकारों से बात करते हुए बक्सर के सांसद के भाषण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सांसद जनता के प्रतिनिधि होते हैं। उनका काम जनता की सेवा करना, उनकी समस्याओं का समाधान करना और उनकी आवाज उठाना होता है, किसी को डराना नहीं। अगर कोई व्यक्ति किसी को धमकाता है तो यह उसके चरित्र को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि वह सांसद नहीं बल्कि बाहुबली हैं।

बिहार के नेताओं को मुफ्तखोरी की आदत हो गई है लेकिन अब उनकी मुफ्तखोरी जल्द ही खत्म होने वाली है, अब जनता के पास जन सुराज का विकल्प है – पीके

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इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में नेता मुफ्तखोरी के आदी हो चुके हैं। जहां पर लालू जी भाजपा का डर दिखाकर और भाजपा लालू जी का डर दिखाकर वोट लेते रहे हैं। इसका कारण यह था कि जनता के पास कोई बेहतर विकल्प नहीं था लेकिन अब जनता के पास जन सुराज के रूप में बेहतर विकल्प है। इसलिए जल्द ही इन नेताओं और पार्टियों की मुफ्तखोरी खत्म होने वाली है।

प्रशांत किशोर ने बक्सर सांसद पर कसा तंज, कहा- सांसद जनता के प्रतिनिधि होते हैं, उनका काम जनता की सेवा करना है, उन्हें धमकाना नहीं, इससे पता चलता है कि वह नेता नहीं बल्कि बाहुबली हैं 2जनता ने लालू जी, नीतीश जी और मोदी जी को मौका देकर देख लिया लेकिन लोगों के जीवन में कोई बुनियादी बदलाव नहीं आया। लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अब जनता को चुनना होगा कि उन्हें जनता का राज चाहिए या नीतीश कुमार के अफसरों का राज या लालू जी का जंगल राज।

डीएनबी भारत डेस्क

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