संस्कृति और संस्कार संस्कृत में समाहित है – स्वामी चिदात्मन जी महाराज

 

 

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय जिले के सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमरिया धाम के सभामंडप पर संस्कृत दिवस और स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान स्थापना दिवस मनाया गया। समारोह में स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृति और संस्कार संस्कृत में समाहित है। अपने सुखी और संतुष्ट जिवन के लिए भारतीय संस्कृति और परम्परागत संस्कारों को प्रमुखता से अपनाना होगा और उसके संस्कृत भाषा का सम्मान करना होगा।

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इन सब कार्यों के सम्पूर्ण सम्पादन के लिए वेदों का अध्ययन और पालन करना होगा। वेद सभी समस्याओं का समाधान कर सकता हैं, इसलिए भी हमें संस्कृत भाषा को अपनाया जाना चाहिए। समारोह का शुभारंभ और संचालन आचार्य नारायण झा जी के वैदिक ऋचाओं से किया गया। समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ विजय कुमार झा ने कहा कि संस्कृत देवभाषा हैं हमें सौभाग्य प्राप्त हैं कि देवभाषा हमें उपहार स्वरूप प्राप्त हुआ हैं। सचिव स्वामी सत्यानंद जी ने सनातन संस्कृति के रक्षार्थ भारत सरकार से मांग की है कि हमारे पाठ्यक्रम में गीता और रामायण को शामिल किया जाना चाहिए।

सह सचिव प्रो पी के झा “प्रेम” ने कहा कि सनातन संस्कृति के सम्पूर्ण विकास और सफलता के लिए संस्कृत भाषा को रोजगार परक बनाया जाना चाहिए। युवा समाजसेवी राजीव कुमार अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि युवा काल से ही उन्हें आध्यात्मिक गुरु का सानिध्य प्राप्त हुआ है।आज के समारोह में रविन्द्र ब्रह्मचारी, श्याम सनातन,राम भारद्वाज, लक्ष्मण , राधे श्याम, विपिन कुमार , बड़े भाई तथा रमेश मिश्रा,रितेश कुमार आदि उपस्थित थे।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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