डीएनबी भारत डेस्क
वैद विश्व पुस्तकालय का प्रथम ग्रंथ और विश्व मानवता का संविधान है। त्रेतायुगाध्य वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया के दिन से ही आरम्भ हुआ है । इसलिए यह सद शास्त्र में अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है। अक्षय तृतीया को ही परशुराम अवतार हुआ। पुराणों में तीन श्रीराम का वर्णन आता है। जिसमें परशुराम, श्रीराम और बलराम।

उक्त बातें सिद्धाश्रम मां काली धाम सर्वमंगला धाम सिमरिया धाम के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए कहा। उन्होंने कहा आदि कुम्भ स्थली सिमरिया धाम वैदिक युग से ही द्वादश कुम्भ के लिए प्रसिद्ध है। जिसमें तुला सत्य और न्याय का प्रतीक कहा गया है। तुला के संक्रांति के साथ साथ 12 महीना पुण्यात्माब्रिंद सिमरिया धाम में पधार कर गुलज़ार बनाए रहते हैं।
शनिवार को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर अपार भीड़ देखने को मिला है। लगभग 2 किलोमीटर दूर तक में लोग गंगा स्नान बनाए हैं। इस दौरान घाट और वाट भरा मिला। इस दौरान अनुष्ठित हवन-यज्ञ संत महात्मा और श्रद्धालुओं द्वारा किया गया। मौके पर रविन्द्र ब्रह्मचारी, राम, श्याम, लक्ष्मण, सुलभाननद , मिडिया प्रभारी निलमणी रंजन सहित अन्य उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार की रिपोर्ट