देश के 52 शक्तिपीठों में एक खगड़िया में देवी के छठे रूप मां कात्यायनी की होती है पूजा
गौ माता मां को अपने आप दूध करती थी समर्पित... खगड़िया कत्यायनी मंदिर 52 शक्तिपीठ शक्तिपीठ में से है एक, इस मंदिर में पूजा अर्चना का है विशेष महत्व।
गौ माता मां को अपने आप दूध करती थी समर्पित… खगड़िया कत्यायनी मंदिर 52 शक्तिपीठ शक्तिपीठ में से है एक, इस मंदिर में पूजा अर्चना का है विशेष महत्व।
डीएनबी भारत डेस्क
देश के 52 शक्तिपीठों में एक माता कात्यायनी मंदिर बिहार के खगड़िया जिला में स्थित है। जो बरौनी जंक्शन से लगभग 60 किमी पूरब की दिशा में स्कीथित है। इस मंदिर में देवी के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा होती है। मान्यताओं और स्थानीय प्रबुद्ध जानकारों व विद्वानों के अनुसार अग्नि में देवी ने जब अपनी आहुति दी थी तो भगवान शिव उनको लेकर तांडव नृत्य करने लगे थे इसी दौरान माता का हाथ यहां गिड़ा था।
स्सथानीय जानकारों के मुताबिक सदियों पहले जब बिहार राज्य के खगड़िया जिला का यह इलाका घनघोर जंगल हुआ करता था तो पशुपालक यहां गाय चराने आया करते थे। माता का जहां हाथ गिड़ा था गाय स्वतः वहां अपना दूध अर्पित करने लगती थी, जिसके बाद यहां वहां लोगों में इस बात की चर्चाएं होने लगी। और स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से के मंदिर की स्थापना की गई और पूजा अर्चना संध्या आरती होने लगा और यह मंदिर मां कत्यानी मंदिर के नाम से पूरे प्रदेश एवं देश में प्रसिद्ध हो गया। प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को इस मंदिर में बैरागन लगता है जिसमें हजारों की संख्या में महिला एवं पुरूष श्रद्धालु माता की पूजा करने और दूध चढ़ाने यहां पहुचते हैं।
राज्य व केंद्र सरकार का निराशाजनक रवैया
राज्य हो या केंद्र सरकार आजादी के बाद से पुल पुलिया की कौन कहे अब तक इस गांव में मंदिर तक जाने के लिए सड़क मुहैय्या नहीं करवा पाई है और लोगों को खतरनाक परित्यक्त रेल पुल पर जान जोखिम में डालकर कोसी और बागमती नदी पार कर यहा आना पड़ता है। जबकि पूर्व में बड़ा रेल हादसा भी हो चुका है जिसमें हुआ 20 श्रद्धालुओं की एक बार में राज्यरानी ट्रेन से कटकर मौत भी हो चुकी है। जिसका मलाल स्थानीय लोगों को आजतक है।
बाबजूद आस्था के प्रति लोगों का उत्साह ऐसा कि हर विध्न बाधा और कठिनाईयों को पार कर हजारों की संख्या में प्रतिदिन महिला एवं पुरूष श्रद्धालु माता कात्यायनी मंदिर खगड़िया के दरबार में बड़े हर्ष के साथ पूजा अर्चना को पहुंचते हैं। और मां कात्यायनी अपने दरबार में पहुंचने वाले सभी भक्तों की मुरादें पुरी करती हैं।
खगड़िया संवाददाता राजीव कुमार