बेगूसराय नगर निगम वार्ड 31 निवासी दोपहर में हुआ था सदर अस्पताल में भर्ती उसी रात हुई मौत, परिजन ने लगाया चिकित्सा में लापरवाही का आरोप।
डीएनबी भारत डेस्क
देशभर के नामचीन सरकारी अस्पतालों में एक बेगूसराय सदर अस्पताल से कुव्यवस्था की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आ रही है। जो बिहार सरकार के स्वास्थ्य महकमे के चिकित्सा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के सारे दावे का पोल खोल रही है। बिहार सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भले ही लाख दावे कर किए जा रहे हैं कि चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार गंभीर है। लेकिन आए दिन जो तस्वीरें निकल कर सामने आ रही है वह यह बताने के लिए काफी है कि बिहार का स्वास्थ्य सिस्टम ठेले पर अपनी अंतिम सांसे ले रहा है।
क्या है पूरा मामला एक रिपोर्ट।
दरअसल बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 31 के राजा कुमार को कल दोपहर 1:00 बजे के आसपास तबीयत बिगड़ने के बाद बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां देर रात उसकी मौत हो गई। इस बीच परिजनों का सीधा सीधा आरोप है कि सदर अस्पताल में भर्ती होने से पहले राजा कुमार पांव पैदल चलकर पहुंचा था। लेकिन यहां पर चिकित्सकों के द्वारा इलाज में लापरवाही की गई।
इतना ही नहीं मरीज के एडमिट होने के बाद सिर्फ एक स्लाइन लगाकर एवं कुछ इंजेक्शन देकर खाना पूर्ति किया गया। इस बीच परिजनों का आरोप है कि जब भी चिकित्सकों एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से मरीज के बिगड़ती हालत के संबंध में कहा गया तो चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा उल्टे परिजनों को डांट फटकार कर भगा दिया गया।
परिजनों ने आरोप लगाया है कि चिकित्सकों के द्वारा उसे बाहर से दवाई लाने के लिए कहा गया जिसे परिजनों के द्वारा आपूर्ति भी करवाई गई। लेकिन फिर भी राजा कुमार की जान नहीं बच सकी। हद तो तब हो गई जब राजा कुमार की मौत के बाद परिजनों ने सदर अस्पताल प्रबंधन से शव बाहन या एम्बुलेंस की मांग की तो विभाग के द्वारा उसे एंबुलेंस भी मुहैया नहीं कराया गया।
थक हारकर परिजन राजा कुमार का शव ठेला से ले जाने को विवश हो गए। हालांकि इस बीच पीड़ित परिजनों का सदर अस्पताल में आक्रोश भी देखा गया। ऐसे में सदर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के पास एंबुलेंस या शव वाहन की कमी है जो आए दिन लोग अपने परिजनों को ठेले ले जाने को विवश हैं।
दूसरा सवाल यह है कि अगर विभाग के पास संसाधन की कमी है तो फिर स्वास्थ्य सिस्टम के बेहतरी के दावे किस आधार पर किए जा रहे हैं। तीसरा सवाल यह है कि अगर इस तरह की कुव्यवस्था जिला मुख्यालय बेगूसराय सदर अस्पताल की तस्वीर सामने आती है तो फिर इसके जिम्मेवार कौन हैं। वर्तमान में बेगूसराय सदर अस्पताल से आ रही यह तस्वीर बताने के लिए काफी है कि अभी भी बिहार का स्वास्थ्य सिस्टम ठेले पर ही सफर कर रहा है और ऐसे में एक बड़े जांच की आवश्यकता है जिससे कि व्यवस्था में सुधार लाया जा सके।
बेगूसराय संवाददाता सुमित कुमार बबलू