बिहार ही नही देश भर के लोगो का आस्था का केंद्र है सिमरिया घाट,अब पर्यटन के क्षेत्र में बनेगी नही पहचान,विकास के लिए एक सौ चौदह करोड़ की योजना की कैबिनेट से मिली मंजूरी

लाखो लाख श्रद्धालु गंगा के इस तट पर न सिर्फ गंगा स्नान के लिए आते है बल्कि सालो भर यहाँ धार्मिक अनुष्ठान चलता रहता है. इसकी महत्ता को देखते हुए सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नदी का तट सहित रीवर फ्रंट का विकास करने की योजना बनाई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई

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डीएनबी भारत डेस्क
बिहार ही नहीं देश भर के लोगो के आस्था का प्रमुख केंद्र रहा सिमरिया अब पर्यटन के क्षेत्र मे नई पहचान बनेगा. इसके लिए बिहार सरकार ने एक सौ चौदह करोड़ की योजना से इसका बिकास करने की योजना बनाई है। जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. सरकार के इस फैसले से ना सिर्फ साधु संतो मे खुशी देखी जा रही है बल्कि आम श्रद्धालूओ मे भी खुशी ब्याप्त है. बताते चले की सिमरिया मे 2023 मे अर्धकुम्भ लगने वाला है इसके पहले सरकार के इस फैसले से लोगो मे नई उम्मीद जगी हैँ .
भारत सहित मिथिला वासियों के लिए लोक आस्था का प्रमुख केंद्र सिमरिया धाम का दिन अब फिरने वाला है. उत्तरवाहिनी गंगा के इस तट का अपना धार्मिक महत्व है. जिसकी बजह से लाखो लाख श्रद्धालु गंगा के इस तट पर न सिर्फ गंगा स्नान के लिए आते है बल्कि सालो भर यहाँ धार्मिक अनुष्ठान चलता रहता है. इसकी महत्ता को देखते हुए सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नदी का तट सहित रीवर फ्रंट का विकास करने की योजना बनाई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सिमरिया धाम के विकास के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार योजना को मंजूरी दी गई है.जिसके तहत नदी तट पर पक्के सीढ़ी घाट के निर्माण, कल्पवास मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सुविधाओं के विकास एवं सौंदर्यीकरण की योजना शामिल है। सरकार के इस फैसले के बाद साधु संतो मे खुशी देखी जा रही है.
बताते चले की सिमरिया के धार्मिक इतिहास के साथ साथ यह राष्ट्रकवी रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली रही है. इतना ही नहीं धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से यहाँ कुम्भ और अर्ध कुम्भ का सफल आयोजन भी हो चुका है. जिसके बाद से यहाँ की महत्ता और भी बढ़ गई.बाद मे केंद्र और राज्य सरकार ने इस स्थान के बिकास के लिए कई योजनाए बनाई. लोगो की माने तो अगर सरकार अर्ध कुम्भ से पहले इन योजनाओं को पूरा करती है तो लाखो लाख श्रद्धालुओं के लिए बेहतर साबित होगा.
बताते चले की पिछले वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिमरिया धाम में लगे कल्पवास मेले में भ्रमण किया था और इस दौरान साधु-संतों से फीडबैक प्राप्त कर इस क्षेत्र के विकास के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार योजना की समीक्षा कर विस्तृत योजना बनाने का निर्देश दिया था । सिमरिया धाम के विकास की योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर मुख्यमंत्री के प्रति लोगो ने प्रति आभार प्रकट किया हैँ।
श्रद्धालुओ का आस्था का प्रमुख केंद्र रहा सिमरिया मे हर साल कार्तिक मास में कल्पवास मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसकी बजह से वर्ष 2008 में सिमरिया कल्पवास मेले को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त हुआ था. जिसके बाद वर्ष 2011 में यहाँ अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का आयोजन किया जा चुका है। जिसमें देशभर के लाखों लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था. जिसके बाद से ही इस स्थान को बिकसित करने की मांग उठती रही है.
साधु संतों के हिसाब से सिमरिया का पुल का नाम श्यामलीबन था.जहाँ समुद्र मंथन हुआ था. पर बाद के बर्षो मे यह लुप्तप्राय हो गया. साधु संतों के हिसाब से इसका कई धार्मिक ग्रंथो मे इसका उल्लेख है. इसके अलावे भी इस स्थान का अपना कई धार्मिक महत्व है.
बाबजूद इसके यहाँ बुनियादी सुविधाओं का आज तक घोर आभाव हैँ जिससे लोगो को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद इसका विकास नहीं हो पाया है। अब सरकार के इस फैसले से लोगो मे नई उम्मीद जगी हैँ. जानकारी के हिसाब से लगभग 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के निर्माण के साथ-साथ संपूर्ण कल्पवास क्षेत्र में सुविधाओं के विकास सौंदर्यीकरण की योजना हैँ.
इसके साथ ही रीवर फ्रंट का विकास, गंगा आरती हेतु विनिर्दिष्ट स्थल का निर्माण, स्नान घाट एवं चेंजिंग रूम का निर्माण, स्नान घाट के समानांतर सुरक्षा व्यवस्था, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप का निर्माण, शेडेड कैनोपी, वाच टावर, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था एवं लैंडस्केपिंग, शौचालय परिसर, धर्मशाला परिसर, पाथ-वे एवं प्रकाशीय व्यवस्था का निर्माण शामिल है। इन कार्यों को 18 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।जिससे यह प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा।
कुल मिलाकर यह उम्मीद की जा रही हैँ की सरकार की इस योजना का अगर अमलीजामा पहनाया जाता है तो यहाँ हरिद्वार की तर्ज पर यहाँ दूर-दराज से लोग आएंगे जिससे ना सिर्फ सिमरिया का धार्मिक महत्व बढ़ेगा बल्कि पर्यटन के विकास से आसपास के इलाके में कई तरह के कारोबार और रोजगार के अवसर भी पैदा होगा.

बेगूसराय संवादाता सुमित कुमार बबलू की रिपोर्ट

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