पंचायतों में कचरा प्रबंधन में लगे लोग मजदूरी से नहीं हैं संतुष्ट, कहा परिवार चलाने के लिए नहीं है उपयुक्त
डीएनबी भारत डेस्क
लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत कचरा प्रबंधन को लेकर नालंदा जिले के कई पंचायतों में स्वच्छता अभियान को सफल बनाने को लेकर कचरा उठाने वाले मजदूर एवं ठेला चलाने वाले एवं सुपरवाइजर की भर्ती की गई है। इनकी भर्ती के 3 महीने बाद भी कचरा प्रबंधन में जुड़े मजदूरों के द्वारा लगातार काम किया जा रहा है लेकिन अब बात अगर इनके मासिक वेतन की करें तो इनका मासिक वेतन एक मनरेगा मजदूर से भी काफी कम है जो इनके माली हालत को भी दर्शाता है।
गौरतलब है कि 3 महीना पूर्व रहुई प्रखंड के अंबा पंचायत में लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 20 लोगों की बहाली की गई थी। जिसमे 15 कचड़ा उठाने वाले चार ई रिक्शा व ठेला चलाने वाले चालक व सुपरवाइजर शामिल है इन सभी मजदूरों के द्वारा अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन भी किया गया। बावजूद इन कर्मियों को इस महंगाई के वक्त उनके मन मुताबिक को वेतन नहीं मिलने से अब इनकी माली हालत ठीक नहीं लग रहा है।
अंबा पंचायत में कचरा प्रबंधन अभियान में जुड़े सुपरवाइजर सनी कुमार ने कहा कि सुपरवाइजर के पद पर हमारा मासिक वेतन 6000 है लेकिन अगर अब आप काम की करें तो काम काफी कठिन है। हम लोग अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन कर रहे हैं ताकि सरकार की जो स्वच्छता अभियान है उसका सफल संचालन हो सके। सुपरवाइजर सनी कुमार ने राज्य सरकार से अपील की कि हम लोगों की मांगों पर गौर करते हुए हमारा मासिक वेतन जो 3000 से 6000 के बीच है उसमें बढ़ोतरी किया जाए ताकि हम लोग भी अपने परिवार का जीवनयापन कर सके। आज महंगाई इतनी चरम सीमा पर है कि मजदूरों को 3000 और सुपरवाइजर को 6000 में गुजारा नहीं हो पा रहा है। इसलिए राज्य की सरकार और स्थानीय प्रशासन हमारी मांगों पर गौर करते हुए इस पर पहल करने की कोशिश करें।
हालांकि इस संबंध में अंबा पंचायत के मुखिया सुशीला देवी को भी इस बात की जानकारी दी गई है स्थानीय मुखिया के द्वारा भी इन मजदूरों के छलकते हुए दर्द को देखते हुए इनके समस्याओं को दूर कराने को लेकर आश्वासन दिया है। पंचायत के मुखिया सुशीला देवी ने कहा कि इन की समस्याओं को दूर करने के लिए वरीय पदाधिकारियों के समक्ष इस समस्या को रखा जाएगा।
नालंदा से ऋषिकेश