डीएनबी भारत डेस्क
बक्सर में लगने वाला पंचकोसी मेला का आज अंतिम दिन है। पंचकोसी मेला के अंतिम दिन आज श्रद्धालु लिट्टी चोखा बना कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। मान्यताओं के अनुसार बक्सर के चरित्रवन में महर्षि विश्वामित्र के सानिध्य में भगवान राम और लक्ष्मण ने पंचकोसी की परिक्रमा की थी। मान्यताओं के अनुसार आज वहां जुटे श्रद्धालु भी पंचकोसी की परिक्रमा करेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे। पंचकोसी मेला में लोग पांच कोस के क्षेत्र की परिक्रमा पांच दिनों में पूरा करते हैं। प्रत्येक दिन श्रद्धालु अपना डेरा अलग अलग जगह पर डालते हैं और वहीं पर बना कर अन्न भी ग्रहण करते हैं।
इनमें पहला पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरा पड़ाव नदांव में खिचड़ी, तीसरे पड़ाव भभुअर में चूड़ा-दही, चौथे पड़ाव नुआंव में सत्तू-मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बताया जाता है कि पूरे विश्व में एक साथ इतने लोग केवल यहीं पर लिट्टी चोखा बनाते हैं। इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि पंचकोसी मेला के अंतिम दिन एक लाख से भी अधिक श्रद्धालु मेला में शामिल होंगे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जब विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर आए थे तो यज्ञ में विध्न डालने पर उन्होंने ताड़का और सुबाहु का वध किया था। इसके बाद सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में वे उनसे आशीर्वाद लेने गए थे। जिन पांच स्थानों पर वे गए और रात्रि विश्राम के दौरान ऋषियों ने उन्हें पकवान खाने को दिए, उन पकवानों को पंचकोशी यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान का भोग लगा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।