बेगूसराय ने पूरा किया अपना 50 वर्ष, गौरवशाली रहा है इतिहास
उत्तर बिहार का सबसे बड़ा औद्योगिक नगरी बेगूसराय ने काफी उतार चढ़ाव के बीच पूरे किये 50 वर्षों का सफर। आइए जानते हैं बेगूसराय के बारे में
शिक्षा, संस्कृति, खेल, राजनिति, आंदोलनात्मक इतिहास हर विधाओं में श्रेष्ठ रही है बेगूसराय जिला की क्रांतिकारी भूमि
डीएनबी भारत डेस्क
एक जमाने में भारत का लेनिनग्राद और मिनी मास्को कहा जाने वाला, प्रदेश एवं देश की राजनीति में अपनी क्रांतिकारी उपस्थिति के साथ काफी उतार चढ़ाव के बीच एवं राजनीतिक दोहन के बावजूद अपनी बुलंदियों भरा 50 साल बेगूसराय ने पूरा कर लिया। गंगा, बूढ़ी गंडक, बैंती, बलान, बाया और चंद्रभागा नदियों को अपने हृदय में समेटे उत्तर बिहार की औद्योगिक नगरी, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं धार्मिक राजधानी बेगूसराय ने 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर जिला स्थापना का गौरवशाली 50 वर्ष पूरा किया।
बेगूसराय का धार्मिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक इतिहास
कभी स्वर्णभूमि और अंगुत्तराप के नाम से जाना जाने वाला बेगूसराय भले ही जिला की स्थापना का 50 वर्ष पूरा कर रहा है, लेकिन इसका स्वर्णिम इतिहास सैकड़ों वर्षों से स्वर्णाक्षर से दर्ज है। सिमरिया धाम जो कभी आदिकुंभ स्थली रही है। पवित्र गंगा नदी जिसके दक्षिण दिशा में बहती है। तो कभी नवजीवन बासुदेव पुस्तकालय मुंगेर प्रमंडल के स्वतंत्रता सैनानियों की स्थली रहा है। 52 शक्तिपीठों में एक जयमंगला गढ़, हरसाईन स्तूप, नमक सत्याग्रह स्थल, नौलखा मंदिर, मंसूरचक की मूर्ति कला जो विश्व प्रसिद्ध है। बेगूसराय जिला का तेघड़ा जहां 95 सालों से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का एशिया प्रसिद्ध मेला लगता है। यहां सिखों के गुरू तेगबहादुर, गुरू गोविंद सिंह के भी आगमन भी हुए। आधुनिक भारत के जागरण के अग्रदूत स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी सत्यदेव परिव्राजक भी जिले में आए। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को पैदा करने वाली यह धरती विश्वस्तर के इतिहासकार रामशरण शर्मा और व्याकरण भास्कर के रचयिता वचनदेव कुमार को जन्म दे चुकी है। पुराकाल में भाड़ जाति का निवास रहने वाले बेगूसराय का क्षेत्र अपने मौर्यकालीन दुर्ग, गुप्त एवं पालकालीन प्रशासनिक केंंद्र के रूप में चर्चित रहा है।
स्थापना काल के 50 वर्ष के बेगूसराय का इतिहास
2 अक्टूबर 1972 को बेगूसराय जिला बना 75 किमी लंबा और 45 किलोमीटर चौड़ा (1918 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्रफल का बेगूसराय जिला में तेघड़ा 1930 -40 के दशक में उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अनाज और मिर्च का मंडी हुआ करता था। शिक्षा और साहित्य के मामले में बेगूसराय नाम हमेशा अव्वल रहा है। बिहार का एकलौता रामसर साइट काबर झील और इस झील के बीच में आदिकवि विद्यापति की पूजा स्थली मां जयमंगलागढ़ शक्तिपीठ जैसी धार्मिक स्थल भी बेगूसराय का ऐतिहासिक गौरव है। सिमरिया धाम जो कभी आदिकुंभ स्थली रही है। वाल्मीकि बाबू बेगूसराय के पहले ब्यूरोक्रेट्स हुए जो सर्वोच्च पद तक गए। वर्तमान में माउंट एवरेस्ट विजेता आईएस रविन्द्र कुमार, आईपीएस विकास वैभव जैसे दर्जनों आईएएस, आईपीएस एवं आईआरएस, महिला पायलट, अंडर 19 बिहार की पहली महिला क्रिकेट टीम कप्तान, महिला फुटबाॅल खिलाड़ी बरौनी गांव बेगूसराय की उपलब्धियों में सुमार हैं। बुद्धकाल में यह क्षेत्र अंगुत्तराप का हिस्सा था, जयमंगलागढ़, नौलागढ़, गढ़खौली आदि स्थानों में भगवान बुद्ध के आगमन के प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं। गुलाम वंशों के शासनकाल और मुगलकाल में मुस्लिम शासकों ने यहां सराय का निर्माण कराया और बेगू नामक एक शासक ने यहां बड़ी सराय बनवाया, उसी के नाम पर इस स्थान का नाम बेगूसराय पड़ा ऐसा जानकारों का कहना है। बेगूसराय को कर्मभूमि मानने वाले बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने इसे बिहार की औद्योगिक राजधानी बना डाला। आजादी के बाद गंगा नदी पर देश का सबसे पहला रेल-सह-सड़क पुल बेगूसराय में ही बना तो आजादी के बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे पहली रिफाइनरी इंडियन ऑयल ने बेगूसराय में बनाया जो कि आज भी बिहार का इकलौता रिफाइनरी है।
ब्रिटिश शासनकाल और स्वतंत्रता आंदोलन
ब्रिटिश हुकमरान की उर्वरा भूमि पर नजर गई और उन्होंने यहां प्रशासनिक केंद्र और नील की कोठियां भी खोली।हर्रख, मंझौल, आगापुर, दौलतपुर, भगवानपुर एवं सदानंदपुर में 1869 के आसपास मार्टिन ईस्ट कंपनी ने नीलकोठी खोलकर यहां से व्यापार शुरू किया। अंग्रेजों ने इसके भौगोलिक महत्व को देखते हुए इसे पहले विभिन्न परगना में बांटा और बाद में 1870 में इसे मुंगेर जिला का अनुमंडल बनाया। मंझौल के रामकिशोर सिंह ने 1905 के बंग भंग आंदोलन के सिलसिले में मुंगेर में आंदोलन में भाग लिया और स्कूल से निकाल दिए गए। बाद के दिनों मेें वे बेगूसराय आ गए और अपने गांव से क्षेत्र में आंदोलन की बागडोर थामे रहे। बीहट, मटिहानी, बरौनी, तेघड़ा और अन्य गांव भी स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र बने। 1930 में डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने जिले के गढ़पुरा में नमक कानून भंग कर गिरफ्तारी दी थी। स्वतंत्रता के बाद भी बेगूसराय का बिहार की राजनीति से लेकर देश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
बेगूसराय का औद्योगिक इतिहास के उतार चढ़ाव
भौगोलिक दृष्टिकोण से उत्तर बिहार औद्योगिक राजधानी बेगूसराय में एकजमाने में 22 सौ एकड़ बड़े भू भाग पर स्थापित एशिया का प्रसिद्ध गढ़हरा यार्ड, बरौनी का ऑक्सीजन फैक्ट्री, बरौनी बियाडा में स्थापित सैकड़ों सूक्ष्म, लघु उद्योग, बरौनी गोपाल आयुर्वेद कारखाना, बरौनी की दर्जनों मोम फैक्ट्रियां, बरौनी फर्टिलाइजर, बरौनी थर्मल, बरौनी रिफाईनरी, बरौनी डेयरी एवं अन्य छोटी बड़ी औद्योगिक ईकाईयां के बीच झूमता बुलंदियों को छूता आगे बढ़ता बेगूसराय न जाने किसकी नजर लग गई और देखते ही देखते कुछ औद्योगिक ईकाईयों को छोड़कर सभी छोटी बड़ी औद्योगिक ईकाईयां हासियें पर आ गए।
बाद के दिनों में बेगूसराय के सांसद स्व भोला बाबू के प्रयास से वर्तमान नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार ने बरौनी फर्टिलाइजर का पूनर्रूद्धार किया, बरौनी थर्मल को एनटीपीसी को सौंपा गया, बरौनी रिफाइनरी का विस्तारीकरण, सिमरिया पुल के समानांतर सिक्स लेन पुल एवं दोहरीकरण रेल लाइन पुल, तत्कालीन बिहार एनडीए की सरकार द्वारा पेप्सी प्लांट को स्थापित कर बेगूसराय के सम्मान को वापस दिलाने का प्रयास किया है। कहा जा सकता है बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने जिस बेगूसराय की परिकल्पना की थी उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मूर्त रूप दे रहे हैं। जिसकी शुरुआत अपने संसदीय जीवन में स्व भोला बाबु लगातार करते रहे।
भारतीय इतिहास में चौंकाने वाली बेगूसराय जिला की कुछ ऐसी घटनाएं जो रही है चर्चा का विषय
भारतीय इतिहास में बेगूसराय जिला में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। और नेशनल न्यूज चैनल और प्रमुख समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी।जिसमें पकड़ौआ विवाह की शुरुआत, भारत का पहला जेल ब्रेक कांड बेगूसराय में हुआ, भारत का सबसे कम उम्र का सीरियल किलर (मात्र 8 साल) बेगूसराय का ही रहा, बूथ कैपचरिंग का देश में पहला मामला बेगूसराय में हुआ, सबसे बड़े तस्कर एवं बिहार अपराधिक दुनियां का बेताज बादशाह कामदेव सिंह बिहार बेगूसराय से था, बिहार में सिविलियन के पास पहला एके 47 हथियार एवं उसके की गई हत्या की घटना बेगूसराय के आशोक सम्राट द्वारा किया गया। एवं हाल की घटनाएं 13 सितंबर की 40 मिनटों तक सात थाना क्षेत्रों में बेखौफ अपराधियों द्वारा की गई ताबरतोर फायरिंग में 10 लोग घायल एक की मौत हुई। जो देश में इस तरह की पहली घटना के रूप में देखा जा रहा है। जिसने जिला, प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। कुछ एक घटनाओं को छोड़ दें तो समय के साथ बेगूसराय में काफी बदलाव आया। अपराध तो कम हुआ ही साथ साथ शिक्षा जगत में जिला के युवाओं ने उच्च पदों पर सफलता पाई है। बेगूसराय ही ऐसा जिला है, जहां पटना के बाद सबसे अधिक मिलेनियर हैं। पूरे भारत में सबसे तेजी से विकसित हो रहे जिले में 4था स्थान पाकर वर्ष 2019 में जिला का गौरव बढ़ाया।