डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले में अन्य अपराधों के साथ-साथ अब साइबर फ्रॉड भी लोगों के लिए नासूर बनता जा रहा है। इतना ही नहीं साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधियों के निशाने पर अब खास लोगों के साथ-साथ विकलांग एवं आम लोग भी शामिल हैं जिन्हें उपयुक्त सहायता की आवश्यकता है।

ऐसा ही एक मामला बेगूसराय जिले के चकिया थाना से सामने आया है जहां एक विकलांग व्यक्ति के खाते से साइबर फ्रॉड के जरिए हजारों रुपए उड़ा लिए गए और अब वह विकलांग अपने पैसे की वापसी एवं न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है । तस्वीरों में दिख रहा है यह सक्स बेगूसराय जिले के चकिया थाना क्षेत्र के चकिया वार्ड 34 का रहने वाला गणपति राय है।
जो विकलांग होने के साथ-साथ कुष्ठ रोगी भी है। सरकार की ओर से इसे ₹1500 प्रत्येक माह पेंशन एवं जीवन यापन के लिए दिया जाता है। जो इसके बैंक खाते में स्वत ही चली आती थी । लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से ना तो इसके खाते में पैसे आए और ना ही इसने निकासी की । लेकिन जब इस शख्स ने प्रखंड कार्यालय से संपर्क किया तो वहां बताया गया कि आप पंजाब नेशनल बैंक की बेगूसराय शाखा से संपर्क कीजिए।
थक हारकर गणपति राय बेगूसराय पंजाब नेशनल की ब्रांच में पहुंचा जहां उसे जानकारी दी गई कि आपके खाते में प्रत्येक माह ₹1500 आ रहे हैं लेकिन विवेक नाम के व्यक्ति के द्वारा उस रकम को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया जाता है। एवं निकासी कर ली जाती है। छानबीन के बाद पता चला कि विवेक कुमार पूर्वी चंपारण का रहने वाला है तत्पश्चात गणपति राय एवं उसके एक अन्य विकलांग दोस्त ने बैंक से ही विवेक कुमार का मोबाइल नंबर प्राप्त किया तथा उससे संपर्क साधने के बाद विवेक कुमार ने भी इसमें अपनी संलिपिता बताई तथा पैसे वापस करने की बात कही।
लेकिन अभी तक गणपति राय के खाते में वह पैसा वापस नहीं की गई है और गणपति राय अपने जीवन यापन के लिए सरकार के द्वारा दी गई रकम की वापसी के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है । अब सवाल यह उठता है कि आखिर किसी दूसरे के खाते से बिना उसकी सहमति से किसी दूसरे के खाते में पैसा कैसे ट्रांसफर किया जाता है।
क्या इसमें बैंक की जिम्मेदारी नहीं है। सवाल यह भी उठना है कि आखिर विकलांग लोगों के साथ-साथ आम लोगों के राशि की सुरक्षा के लिए बैंक तथा प्रशासन की ओर से क्या व्यवस्था की गई है जिससे कि आम लोग ठगी के शिकार ना हो।
डीएनबी भारत डेस्क