विश्यों की चिंतन करने से वासना होती है,जो पाप का कारण है, कंचन दीदी 

DNB Bharat Desk

वीरपुर राजेन्द्र विवाह भवन में आयोजित पांच दिवसीय श्रीमद भगवद्गीता काथा के तीसरे दिन मन बसा के तेरी मुर्ती गाऊं मैं प्रभु तेरी कृति जैसे भजनों से प्रारंभ किया गया।कथा के दौरान ब्रह्मा कुमारी राजयोगनी कंचन दीदी ने कहीं विश्यों की चिंतन करने से वासना उत्पन्न होती है जो पाप के कारण हुआ करती है। 

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धर्म क्षेत्र और कुरुक्षेत्र की उन्होंने चर्चा करते हुए कही। धर्म यूक्त यूध में जीत निश्चित रूप से होती है। इस लिए मनुष्यों को चाहिए कि हर कर्म में धर्म के आचरण को करे। उन्होंने कयी दिव्य महापुरुषों का जिक्र करते हुए कहा वे लोग अपने हरेक कार्यों में धर्म यूक्त आचरण किया करते थे इस लिए महान हो गये। उन्होंने कथा के दौरान कहा आज मया रुपी संसार के जिव पांच मया रुपी कालीया नाग के फंदे से जकरे हुए हैं। 

विश्यों की चिंतन करने से वासना होती है,जो पाप का कारण है, कंचन दीदी  2उन्होंने कहा इसलिए अध्यात्मिक ज्ञान से मन और पांच ज्ञानेंद्रीयों पर कब्जा किया जा सकता है। उन्होंने कहा अर्जुन और कृष्ण संवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा ज्ञान क्या है और उस पर उन्होंने विस्तार से चर्चा किया। इच्छाओं से ज्ञान की प्राप्ति होती है तब राज ऋषि लोग कहलाते हैं। उन्होंने शरीर, स्वरूप, जन्म और अवतरण के रहस्यों पर भी विस्तार से चर्चा की। 

विश्यों की चिंतन करने से वासना होती है,जो पाप का कारण है, कंचन दीदी  3उन्होंने धरा धाम पर भगवान के अवतरण होने के गुढ रहस्यों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कही जब धर्म की ग्लानि होती है तो भगवान जन्म नहीं लेते प्रकट हुआ करते हैं। ऐसा शास्त्रों में कई जगह वरनन आया है। मौके पर पूर्व विधायक शिवदासानी प्रसाद सिंह,शिव कुमार शर्मा, संजीव सिंह, अनिल चौधरी, राम चंदर चौधरी, सत्यनारायण प्रसाद सिंह, समेत हजारों श्रद्धालु मौजूद थे।

बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट

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