डीएनबी भारत डेस्क
नालंदा जिले की पवित्र धरती पर रविवार को छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ धार्मिक उत्साह और आस्था के रंग में डूबा नजर आया। औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी।

व्रतधारियों ने दिनभर निर्जला उपवास रखा और शाम होते-होते रसिया खीर, अरवा चावल और दाल का प्रसाद बनाकर भगवान भास्कर को अर्पित किया। पूजा-अर्चना के बाद व्रतधारियों ने प्रसाद ग्रहण किया और अपने परिवार व इष्ट-मित्रों को भी प्रसाद वितरित किया।
चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत को निभाने के लिए श्रद्धालु औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में तंबू लगाकर प्रवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन पवित्र स्थलों पर रहकर छठ व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र राजा साम्ब ने औगांरी धाम और बड़गांव सूर्यपीठ में कठोर तपस्या कर सूर्यदेव की आराधना की थी।
उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर ने उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति प्रदान की थी। तभी से यह स्थान सूर्य उपासना के प्रमुख केंद्रों में गिना जाता है।
महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर पूजा की और सूर्यदेव से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
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