डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/सिमरिया-डेढ़ महीने के कल्पवास में गंगा नदी तट पर नित्य संध्या में गंगा महाआरती तो आयोजित होती ही है। पर इससे पहले कल्पवास मेला क्षेत्र के सभी खालसा के हर कुटिया में रह रहे कल्पवासी माताओं, साधु संतों संध्या होते ही सजी हुई आरती की थाली लेकर गंगा नदी तट की तरफ बढ़ जाती हैं।

इस दौरान सभी माताएं, साधु- संतों गंगा नदी तट स्थित तुलसी, आंवला, बरगद और पीपल वृक्षों के नीचे शिवलिंगों के पास छोटे- छोटे मिट्टी के दीपों में घृत भरकर जलाते हैं और धूप बत्ती जलाती हैं। इसके साथ ही वह गंगा नदी तट पूजन कर वहां गंगा आरती करतीं हैं और सुन्दर और मनमोहक आरती भजन गायन करतीं हैं। जिसके बाद कुटिया में बने महाप्रसाद का भोग लगातें हैं। यह दृश्य काफ़ी मनोरम और आध्यात्मिक लगता है।
वहीं इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बेगूसराय जिले के गौर निवासी मंजू देवी, सत्यभामा, खुशी देवी, कौशल्या देवी, दरभंगा जिला बेनीपुर निवासी रितु सिंह,किरण देवी, बेवी देवी, छेदी शर्मा, बच्चा देवी, मीरा देवी सहित अन्य कल्पवासियों ने बताया कि कार्तिक महीने में तुलसी और आंवला , पीपल वृक्षों की आरती करना हमारी पुरातन परंपरा है। सभी पौधें औषधीय पौधे हैं। गंगा नदी तट पर कल्पवास कर नित्य संध्या करने का महत्व ही एक अलग है।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट