डीएनबी भारत डेस्क
भंडारा आयोजित करना भगवान के प्रति कृतज्ञता और भक्ति व्यक्त करने का एक तरीका है। भंडारे में भाग लेना एक अद्भुत सेवा का अनुभव प्रदान करता है। संतों के भंडारे का महत्व धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक लाभों से जुड़ा है। यह कृतज्ञता व्यक्त करने, एकजुटता को बढ़ावा देने, अन्न दान के पुण्य को प्राप्त करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का एक माध्यम है।शास्त्रों में अन्न दान को सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है और भंडारे के माध्यम से यह पुण्य प्राप्त होता है।

भंडारे के आयोजन और उसमें भाग लेने से सकारात्मक कर्म और आत्मिक संतुष्टि मिलती है।उक्त बातें रविवार को राजकीय कल्पवास मेला क्षेत्र सिमरिया धाम स्थित राम निहोरा सेवा शिविर में सहरसा जिले के बनगांव निवासी डा सुभाषचंद्र झा के पुत्र पंकज कुमार झा द्वारा कराए जा रहे संतों के भंडारा को संबोधित करते हुए महंत मिथलेश दास उर्फ बौआ हनुमान ने कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह से दान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति में सहायता मिलती है।
अन्न दान से पितरों की आत्मा को भी संतुष्टि मिलती है। आगे उन्होंने कहा 14 अक्टूबर दिन मंगलवार से इस खालसा में नियमित रूप से संत महात्माओं का भंडारा आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रविवार का भंडारा हमारे शिष्य सहरसा जिले के बनगांव निवासी डा सुभाषचंद्र झा के पुत्र पंकज कुमार झा सपरिवार गंगा स्नान करने के पश्चात आयोजित किया है। ईश्वर सब विधि से उस परिवार का कल्याण करेंगें ।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट