एह्लोकिक सुख और परलौकिक गति की प्राप्ति मनुष्य को उसके तपस्या से ही होती है – चिदात्मन जी महाराज

DNB Bharat Desk

बेगूसराय/सिमरिया-एह्लोकिक सुख और परलौकिक गति की प्राप्ति मनुष्य को उसके तपस्या से ही होती है। ये बातें सिद्धाश्रम सिमरिया धाम के प्रांगण में ज्ञान मंच से पूज्य स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा । उन्होंने कहा कार्तिक महात्म एवं श्रीमद् भागवत कथा महापुराण में बतलाया गया कि वही मानव प्रथम श्रेणी का बतलाया गया जो देव कर्म और पितृ कर्म सभी प्रकार के सामाजिक कर्म राष्ट्र कर्म और संस्कृति हित का काम करता है वही मानव प्रथम श्रेणी के होते हैं ।

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मध्यम श्रेणी के वह मानव बतलाए गए हैं जो एक दूसरे के देखा देखी करते हुए कर्म और कुकर्म करता है और निम्न श्रेणी के वह मानव बतलाया गए हैं जो इस मिथ्या रुपी संसार में भोग विलास में ही सदा सदा के लिए पड़ा रहता है । इसलिए आप जहां कहीं भी रहे घर में रहे या बाहर में रहे या किसी देवभूमि में रहे याद रखें आप सभी जगह अच्छे कर्म ही करें। क्योंकि यह कर्म ही आपके साथ जन्म-जन्मांतर तक पूंजी भूत रहेगा ,आप सभी श्रद्धालु धनन्याति धन्य हैं जो अपना घर परिवार छोड़कर भी यहां इस धरा धाम पर कल्पवास करने के लिए पधारे हैं। सभी सनातन धर्मावलंबी का काम है कि वो सबसे पहले किसी भी पूजन में प्रत्यक्ष स्वरूप सूर्य देव की उपासना करते हैं।

एह्लोकिक सुख और परलौकिक गति की प्राप्ति मनुष्य को उसके तपस्या से ही होती है - चिदात्मन जी महाराज 2सनातन धर्म में सबसे पहले पंचोपचार पूजन का ही महत्व है। याद रहे हरेक मनुष्य को अपने शुभ अशुभ कर्मों का फलाफल निश्चित रूप से पाना ही पड़ता है। भागवत तीन प्रकार के होते हैं प्रथम महामहा भागवत, दूसरा देवी भागवत और इस समय हम लोग जो श्रवण कर रहे हैं वह श्रीमद् भागवत जिसके श्रवण मात्र से ही सभी प्रकार के पाप-ताप नष्ट होते हैं कहां गया है कि धान का उपयोग भी तीन प्रकार से होता है सत्कर्म देव कर्म और पितृ कर्म। कहा गया है कि जो धन सत्कर्म में और पितृ कर्म में वरदान में लगाया जाता है उसे हम सबसे उत्तम मानते हैं। इस पावन अवसर पर

एह्लोकिक सुख और परलौकिक गति की प्राप्ति मनुष्य को उसके तपस्या से ही होती है - चिदात्मन जी महाराज 3सिद्धाश्रम के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी,मीडिया प्रभारी नीलमणि, प्रो पी के झा प्रेम, रमण कुमार, अमरेंद्र कुमार सिंह, श्याम झा, राम झा, लक्ष्मण झा, अरविंद चौधरी, सदानंद झा, आचार्य नारायण झा, पंडित दिनेश झा रमेश झा, राजेश झा रजनीश झा,हंस झा, बच्ची देवी, अरुणा देवी एवं दीप्ति कुमारी सहित सभी श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।

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