मनुष्य से जीवन में जाने-अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं, उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र मुक्ति पाने का उपाय है:- प्रेमाचार्य पीताम्बरजी महाराज

DNB Bharat Desk

मंझौल में आयोजित नवदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस उक्त बातें श्रीधाम वृन्दावन से पधारे परम् पूज्य श्री प्रेमाचार्य पीताम्बर जी महाराज ने कही। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान भी किया। महाराज श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है।

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मनुष्य से जीवन में जाने-अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं, उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र मुक्ति पाने का उपाय है:- प्रेमाचार्य पीताम्बरजी महाराज 2उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। कपिल चरित्र, सती चरित्र, शिव विवाह आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।

मनुष्य से जीवन में जाने-अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं, उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र मुक्ति पाने का उपाय है:- प्रेमाचार्य पीताम्बरजी महाराज 3उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव-विभोर होकर नाचने लगे एवं भगवान की दिव्य झांकी का दर्शन कर निहाल हो गए। महाराज श्री ने आगे कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। उन्होंने वाराह अवतार सहित अन्य प्रसंगों पर प्रवचन किए।

मनुष्य से जीवन में जाने-अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं, उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र मुक्ति पाने का उपाय है:- प्रेमाचार्य पीताम्बरजी महाराज 4

कथा क्रम में भगवान की दिव्य झांकी का भी यजमान सहित सभी भक्तों द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना की गई।मौके पर दुर्गा पूजा समिति मंझौल के अध्यक्ष कन्हैया कुमार, कोषाध्यक्ष अमित कुमार सिंह गप्पू, सचिव सिम्मी सिंह, संयुक्त सचिव केशव सरकार, सदस्य गोपी, शिशुपाल सिंह, केशव, प्रवीण, संरक्षक विजय प्रसाद सिंह, मनोज भारती, गोविन्द, वीरू, धीरज, सन्नी, मुरारी, गुलशन, प्रियांशु, अनुराग समेत काफी संख्या में पुरुष एवं महिला श्रद्धालु मौजूद थे।

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