डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र में मंगलवार को हरितालिका तीज की रही धूम मची रही।इसे लेकर महिलाओं में उत्साह देखा गया।भगवान् शिव द्वारा माता पार्वती को स्वीकार्य किये जाने की तिथि को सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका तीज के रूप में मनाया। कथाओं के अनुसार हिमालय राज़ की पुत्री माता पार्वती मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थी। लेकिन उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह करना चाहते थे।यह देखकर उनकी सहेलियां उन्हें हरकर घनघोर जंगल में ले गए जहां उन्होंने उन्हें पाने के लिए 107 जन्म तक घोर तपस्या की।

उसके बाद 108वां जन्म में उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव भादो शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन माता पार्वती को स्वीकार्य किये तथा उनसे विवाह किया। इसलिए इसे हरितालिका अर्थात हरित माने अपहरण तथा आलिका माने सखियां मतलब सखियों द्वारा अपहरण कर घोर जंगल में ले जाकर तपस्या करवाने की वजह से इसे हरितालिक तीज कहा जाता है।उसी दिन से सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा व दीर्घायु की कामना से उक्त व्रत को करती आ रही हैं। सोमवार को उक्त व्रत को लेकर महिलाओं ने नहाय खाय की तथा मंगलवार को दिन भर व रात भर निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव पार्वती का पूजन कर रात्रि जागरण करती है।

तत्पश्चात् विसर्जन के उपरांत पारण करती है।इसे लेकर दिन व रात भर प्रखंड क्षेत्र में धुममची रही। महिलाएं समूह बनाकर भी एक स्थान पर पूजन मनन किये। इस दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र पर भजन की गुंज भी होती रही। कहीं कहीं इसे लेकर भजन कीर्तन का भी कार्यक्रम आयोजित किए गए।
बेगूसराय भगवानपुर संवाददाता गणेश प्रसाद की रिपोर्ट