सदर अस्पताल में हेलमेट पहनकर एक भगत पहुंच कर मृत किशोर को जिंदा करने का दावा करने लगा।
डीएनबी भारत डेस्क

बिहार के समस्तीपुर सदर अस्पताल से एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामनें आई है, जहां सदर अस्पताल परिसर में घंटों अंधविश्वास का खेल चलता रहा। एक 15 वर्षीय किशोर की सांप काटने से मौत के बाद परिजन और पुलिस के द्वारा मृत किशोर के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया लेकिन सदर अस्पताल में हेलमेट पहनकर एक भगत पहुंच कर मृत किशोर को जिंदा करने का दावा करने लगा। जिसके बाद भगत मृतक किशोर के शव के सामनें घंटों तंत्र-मंत्र पढ़कर झाड़ फुंक करने लगा। इतना ही नहीं गमछा का कोड़ा बनाकर मृत किशोर के शरीर पर चलाता रहा।

घंटों तंत्र मंत्र के बाद भी किशोर जिंदा नहीं हुआ। भगत अखिलेश कुमार राय कभी बच्चे की छाती पर हाथ रखकर उसके धड़कन को महसूस करता, तो कभी उसकी नब्ज टटोलता। इस दौरान उसका एक साथी लगातार मृतक झामन के पैरों के तलवे की मालिश करता रहा। वहीं इस नजारे को देखने के लिए पोस्टमार्टम में आए दर्जनों लोगों की भीड़ वहां जमा हो गयी। किशोर के जिंदा होने का सपना देखकर परिजन शव पर टकटकी लगाए बैठे रहे लेकिन लाख जतन के बाबजूद किशोर जिंदा नहीं हुआ। आखिर में करीब 30 मिनट बाद जब झामन ठीक नहीं हुआ तब तांत्रिक अखिलेश कुमार ने बच्चे के परिजन और भीड़ के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मांग ली।
भगत का कहना है कि बच्चे की मौत को कई घंटे बीत चुके है। उसे स्लाइन चढ़ाया गया था। अगर स्लाइन नहीं चढ़ाया गया होता, तो उसकी जान बचा लेता। मृत किशोर की पहचान मोहिउद्दीननगर थाना क्षेत्र के राजा जान के रहने वाले रंजीत पासवान के 15 वर्षीय पुत्र झामन कुमार के रूप में की गई है। मृतक के पिता गांव में ही मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। बताया जा रहा है कि रविवार के रात्रि सोए अवस्था में झामन को सांप ने काट लिया था। जिसके बाद उसे इलाज के लिए दलसिंहसराय लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई।

जिसके बाद पुलिस ने मृत किशोर के शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया था। सदर अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर पी डी शर्मा का इस संबंध में बताना है कि जिसकी मौत हो चुकी हो, उसे जिंदा करना संभव नहीं है। बड़ा सवाल है कि अस्पताल परिसर में तंत्र मंत्र की अनुमति किसने दी। पोस्टमार्टम के बाहर घंटे तंत्र-मंत्र का खेल चलता रहा लेकिन अस्पताल प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगी
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट