दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है – करुणानिधि प्रसाद आर्या

DNB Bharat Desk
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बरौनी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत एपीएसएम कॉलेज बरौनी के प्रांगण में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के बैनर तले कानून और दत्तक ग्रहण विषय पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया । वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव न्यायाधीश करुणानिधि प्रसाद आर्या ने दत्तक ग्रहण एवं कानून क्या है? विषय पर उपस्थित बच्चों को जागरुक करते हुए कहा कि सर्वप्रथम मैं आप सभी को दत्तक ग्रहण के बारे में बताऊंगा।उन्होने कहा कि हमारे देश में बच्चों को गोद लेने के लिए कुछ नियम और शर्ते हैं।

 दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है - करुणानिधि प्रसाद आर्या 2जिसमें मुख्य रूप से गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति देखी जाती है । इसके अलावा बच्चे और गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र में एक निश्चित अंतर होना चाहिए । यदि गोद लेने वाले माता-पिता विवाहित हैं तो दोनों की सहमति आवश्यक है। गोद लेने की प्रक्रिया में कानूनी दस्तावेज और एक होम स्टडी शामिल होती है। जिसमें यह देखा जाता है कि क्या माता-पिता बच्चों की देखभाल करने के लिए तैयार हैं। प्राधिकार के सचिव करुणानिधि प्रसाद आर्या ने कहा कि भारत के प्रत्येक जिले में एडॉप्शन के लिए एक एडॉप्शन होम है। जहां वैसे बच्चे रखे जाते हैं जिनके माता-पिता या तो खो गए हैं या है ही नहीं ।

दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है - करुणानिधि प्रसाद आर्या 3और जिन्हें गोद लेना है गोद लेने के लिए सबसे पहले सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। उसके बाद यह एजेंसी आपके घर का दौरा करेगी और आपकी उपयुक्तता का आकलन करेगी। कि आप बच्चों के को गोद लेने के लायक है या नहीं । इसके बाद ही आपके बच्चे दिए जाएंगे या नहीं यह तय किया जाएगा। प्राधिकार के सचिव न्यायाधीश करुणा निधि प्रसाद आर्या ने कहा कि दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है। सामान्य तौर पर कोई भी स्वस्थ मानसिक रूप से स्थिर और वित्तीय रूप से सक्षम व्यक्ति जो 21 वर्ष से अधिक उम्र का है और बच्चे से 21 साल बड़ा है वह दत्तक ग्रहण कर सकता । उन्होंने कहा केवल पुरुष बच्ची को गोद नहीं ले सकते हैं ,बच्ची को गोद लेने के लिए माता-पिता दोनों की सहमति होनी चाहिए। 

दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है - करुणानिधि प्रसाद आर्या 4वहीं प्राधिकार के सचिव न्यायाधीश करुणानिधि प्रसाद आर्या ने कहा आज का दूसरा विषय है कानून कानून क्या है ,कानून एक ऐसी व्यवस्था है एक ऐसी प्रणाली है जो न्याय, अधिकारों की रक्षा और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने और न्याय को बढ़ावा देने के लिए नियमों और विनियमो का एक संग्रह है। उन्होने बताया कि कानून भारत के हर नागरिक को समझना चाहिए चाहे वह पढ़े लिखे हो या अनपढ़ हो उन्हें कानून का पालन करना होगा ।हमारे देश में कानून का उल्लंघन करने वालों को सजा का प्रावधान है इसलिए हम यह समझना होगा कि कानून क्या है और उसका पालन किस प्रकार करना है । वहीं उन्होंने नालशा एवं बालशा के जनकल्याणकारी योजनाओ के बारे में विस्तृत रूप से बताया।

 दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है - करुणानिधि प्रसाद आर्या 5उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार में जिस व्यक्ति की वार्षिक आय डेढ़ लाख से कम है उसके लिए फ्री लीगल एड की व्यवस्था है ।वहीं महिलाओं और वृद्धि जनों के लिए भी फ्री लीगल एड की व्यवस्था है । उन्होंने कंपनसेशन स्कीम, 1 जुलाई 2025 से 30 सितंबर 2025 तक चल रहे मेडिएशन फॉर थे नेशन स्कीम के बारे में भी विस्तृत रूप से लोगों को बताया साथ ही साथ आगामी सितंबर महीने में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया। कालेज के छात्रों के द्वारा न्यायाधीश महोदय से पोक्सो एक्ट एवं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के बारे में सवाल पूछे गए उनका भी जवाब जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव न्यायाधीश करुणा निधि प्रसाद आर्या के द्वारा दिया गया । 

दत्तक ग्रहण एडॉप्शन कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 के अनुसार तय होता है - करुणानिधि प्रसाद आर्या 6वहीं इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एल एडीसी की सदस्य सुधा कुमारी एवं पीएलभी रेखा कुमारी ने उपस्थित छात्रों को आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत एवं मेडिएशन फॉर द नेशन स्कीम के बारे में विस्तृत रूप से बताया। साथ ही साथ एल एडीसी की सदस्य सुधा कुमारी ने एलएडीसी के बारे में विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने कहा यह एलएडीसी में हम सभी कार्य करते हैं और यहां से मुफ्त में हम लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कानूनी सहायता मुफ्त में प्रदान करते हैं। जिससे ऐसे लोगों का मदद किया जा सके जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं ।जागरूकता शिविर की अध्यक्षता एपीएसएम कॉलेज बरौनी के प्राचार्य डॉ नंदकुमार ने किया । वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य नंदकुमार ने कहा कि आज बहुत ही हर्ष का दिन है ।

 जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह न्यायाधीश करुणानिधि प्रसाद आर्या एवं उनकी टीम हमारे महाविद्यालय में कानूनी जागरूकता करने यहां आई है । और मैं उन सभी का स्वागत करता हूं । कार्यक्रम के शुरुआत में विद्यालय के प्राचार्य ने उपस्थित सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर उनका सम्मान किया । इसके बाद एनएसएस की बच्चियों ने स्वागत गान गाकर आए हुए अतिथियों का स्वागत किया ।  मौके पर विद्यालय के शिक्षक गण ,बरौनी फिजिकल अकादमी के ट्रेनर रूपेश कुमार ,पीएलबी रेखा कुमारी पीएलबी प्रभात कुमार सिन्हा  सहित कई गण मन उपस्थित थे।

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