परिजन अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लुटा कर इलाज में खर्च कर दिए फिर भी सफलता नहीं पा रहे हैं।
इलाज के लिए पटना दिल्ली से लेकर लोगो द्वारा बताये गए हर जगह बच्चे की इलाज के लिए ले जाया गया पर कोई सुधार नही।

डीएनबी भारत डेस्क
मस्क्युलर डिस्ट्रफ़ी एक खतरनाक बीमारी हैं जिसका मेडिकल साइंस मे अब तक समुचित इलाज संभव नहीं हो पाया हैं। लाखो मे एक मिलने वाले इस मरीज की जिंदगी मौत से कम नहीं। बाबजूद लोग इस बीमारी से लड़ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। इसके लिए लोग अपने जीवन की सारी जमा पूंजी पूंजी लुटा कर भी सफलता नहीं पा रहे हैं। आज कहानी ऐसी ही खतनाक बीमारी से जुझ रहे बेगूसराय के एक 13 वर्षीय बच्चे की,जिसकी जिंदगी मे अंधेरा ही अंधेरा छाया हुआ हैं। वही परिवार के लोग अपने बच्चे की सलामती के लिए अपना सब कुछ लुटा चुके हैं। परिवार को अब बच्चे की सलामती के लिए सरकार के सहारे का इंतजार है जिसकी ओर परिवार टकटकी निगाह से देख रहा है। कब कोई मसीहा आये और उसके बच्चे की जंदगी बचा सके।
13 वर्ष का पीयूष कुछ वर्ष पहले एक सामान्य बच्चे की तरह था जो पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद भी करता था। पीयूष के सामान्य जिंदगी से परिवार मे ढेर सारी खुशियाँ थी। पर शायद इन खुशियों को किसी की नजर लग गई और एक दिन पीयूष आते जाते अचानक से गिर जाता है। परिवार के लोग इसे एक सामान्य घटना मान कर चल रहे थे पर यह सिलसिला थमने की जगह बढ़ता गया। जिसके कारण पीयूष चलते चलते गिर जाता था। अचानक से आई इस आफत से निपटने के लिए परिवार के लोग डॉक्टरो के यहाँ दौड़ धुप करने लगे। इसके लिए पटना दिल्ली से लेकर लोगो द्वारा बताये गए हर जगह बच्चे की इलाज के लिए ले जाया गया पर मर्ज कम होने की जगह बढ़ता गया।
और अब स्थित यह है की पीयूष हिल डोल पाने मे भी असमर्थ है। पीयूष जब चौथी क्लास का छात्र था तब इस जटिल बीमारी ने पीयूष की जिंदगी का सुख चैन छीन लिया था। तब से लेकर आज तक परिवार के लोगो ने अपने जीवन की कुल जमा पूंजी और जमीन आदी बेच कर लाखो रुपया उसके इलाज मे खर्च कर दिया। पर इस बीमारी ने परिवार के लोग अपने बच्चे को निजात नहीं दिला पाए। आज पीयूष और उसके परिवार के सामने सिर्फ गम और अँधेरे का साया है।
बताते चले तेघरा प्रखंड के रहने वाले पीयूष के पिता रौशन कुमार का तेघरा बाजार मे गल्ले का दुकान है। पीयूष दो भाई है जिसमे पीयूष बड़ा बेटा है। इस बीमारी के इलाज के लिए परिवार के लोगो ने हर संभव कोशिश की पर इससे अपने बच्चे को निजात नहीं दिला पाए। जिससे पूरा परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पिता रौशन कुमार का कहना है की उनकी जानकारी के हिसाब से इसका एक मात्र उपाय बिदेश मे मिलने वाली लगभग सोलह लाख रूपये का एक इंजेक्शन है। पिता और माँ का कहना है की इतना महंगा इलाज उनसे संभव नहीं है इसके लिए अब सरकार की मेहरबानी चाहिए। जिसकी तरफ वो टकटकी निगाह से देख रहे है पर अब तक कोई मदद सरकार की तरफ से नहीं मिल पाया है।
इस बीमारी के संबंध मे डॉक्टरो का कहना है की यह एक जेनेटीक कंडीशन है जो रेयारेस्ट होता है जिसमे जिसमे प्रोग्रेसिव मुसल्स बिकनेस हो जाता है। यह बीमारी अधिकतर मेल मे होता है। यह बीमारी रेरेस्ट है जिसपर अभी शोध चल रहा है।
डीएनबी भारत डेस्क