डीएनबी भारत डेस्क
समस्तीपुर में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में लीची उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बिहार के विभिन्न जिलों से आए लीची किसानों ने अपनी अपनी वैराइटी का प्रदर्शन किया। जिससे शाही लीची से लेकर चायना, बेदाना, बोंबई, मंदराजी, योगदान आदि वैराइटी शामिल है।मुख्य अतिथि के रूप में केंद्र सरकार के हार्टीकल्चर कमिश्नर डॉ प्रभात कुमार, कुलपति डॉक्टर पीएस पांडेय पहुंचे। इन्होंने संयुक्त रूप से किसानों के स्टॉल का निरीक्षण किया। किसानों से बातचीत की। लीची व लीची हनी को बढ़ावा देने के लिए बात की गई है।


इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बिहार की धरती में लीची बसी है। राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय लीची उत्पादन के क्षेत्र में लगातार रिसर्च कर रही है। जिससे किसानों को फायदा मिल रहा है।लीची 15-20 दिनों में खराब होने लगता है। सड़ने लगता है। लीची को सड़ने से बचाने के लिए विश्वविद्यालय रिसर्च कर रही है। लीची को नए फसल के आने तक वह सुरक्षित रहे। यह रिसर्च सफल होता है, तो किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। किसान अपने उत्पाद को महीना तक सुरक्षित रख सकेंगे, जिससे उनका कारोबार और विकसित होगा।

उन्हें ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलेगा। मौके पर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर पीएस पांडे ने कहा कि लीची से हनी बनाने के क्षेत्र में विश्वविद्यालय में काम किए जा रहे हैं। किस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं। उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है। इस मौके पर विश्वविद्यालय के विद्यापति भवन सभागार में लीची और लीची से बने शहद पर सेमिनार का भी आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न जगहों से डेलिगेट्स भाग ले रहे हैं। देश के विभिन्न विश्वविद्यालय से वैज्ञानिक भी उपस्थित हुए हैं।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट